नयी दिल्ली, (वार्ता) : भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और झारखंड की स्थिति से निपटने के पार्टी के तौर तरीकों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ उसकी मुहिम कमजोर हुई है और जहां लोग केन्द्र सरकार से गुस्से में हैं वहीं भाजपा के प्रति भी निराशा व्यक्तकर रहे हैं।
श्री आडवाणी ने आज अपने ब्लाग में लिखा है कि पार्टी का मनोबल ऊंचा नहीं है। उन्होंने लिखा है कि जिस तरह से पार्टी ने भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण बहुजन समाज पार्टी से निकाले गये पूर्व मंत्री का स्वागत किया और उसके बाद उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के परिणाम आये तथा पार्टी ने झारखंड और कर्नाटक में उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये जो तौर तरीके अपनाये, उससे भ्रष्टाचार के खिलाफ उसकी मुहिम कमजोर हुयी है। पार्टी के शीर्ष नेता ने कहा है कि अभी मीडिया अनेक घोटालों के लिए केन्द्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को निशाना बना रहा है लेकिन साथ ही इस बात पर अफसोस जताया जा रहा है कि भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन कसौटी पर खरा नहीं उतरा है और उसने अवसर का सही फायदा नहीं उठाया।
श्री आडवाणी ने कहा कि वह 1984 के लोकसभा चुनाव को पार्टी के लिए सबसे खराब समय मानते हैं क्योंकि उस समय पार्टी के 229 उम्मीदवारों में से केवल दो को ही जीत मिली थी। उन्होंने कहा कि यहां तक कि 1952 के पहले चुनाव में भी पार्टी को तीन सीटें मिली थीं। मौजूदा स्थिति की 1984 से तुलना करते हुए उन्होंने लिखा है कि यह सही है कि संसद के दोनों सदनों में हमारे सांसदों की संख्या अच्छी खासी है और पार्टी की नौ राज्यों में सरकार भी है लेकिन जिस तरह की चूक पार्टी की ओर से की जा रही है उसका खमियाजा इन तथ्यों से पूरा नहीं किया जा सकता। भाजपा नेता ने कहा कि हाल ही में हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में उन्होंने कहा था कि यदि लोग संप्रग सरकार से नाराज हैं तो वे भाजपा से भी निराश हैं। उन्होंने कहा कि यह पार्टी के लिए आत्म-चिंतन का वक्त है।
श्री आडवाणी ने आज अपने ब्लाग में लिखा है कि पार्टी का मनोबल ऊंचा नहीं है। उन्होंने लिखा है कि जिस तरह से पार्टी ने भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण बहुजन समाज पार्टी से निकाले गये पूर्व मंत्री का स्वागत किया और उसके बाद उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के परिणाम आये तथा पार्टी ने झारखंड और कर्नाटक में उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये जो तौर तरीके अपनाये, उससे भ्रष्टाचार के खिलाफ उसकी मुहिम कमजोर हुयी है। पार्टी के शीर्ष नेता ने कहा है कि अभी मीडिया अनेक घोटालों के लिए केन्द्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को निशाना बना रहा है लेकिन साथ ही इस बात पर अफसोस जताया जा रहा है कि भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन कसौटी पर खरा नहीं उतरा है और उसने अवसर का सही फायदा नहीं उठाया।
श्री आडवाणी ने कहा कि वह 1984 के लोकसभा चुनाव को पार्टी के लिए सबसे खराब समय मानते हैं क्योंकि उस समय पार्टी के 229 उम्मीदवारों में से केवल दो को ही जीत मिली थी। उन्होंने कहा कि यहां तक कि 1952 के पहले चुनाव में भी पार्टी को तीन सीटें मिली थीं। मौजूदा स्थिति की 1984 से तुलना करते हुए उन्होंने लिखा है कि यह सही है कि संसद के दोनों सदनों में हमारे सांसदों की संख्या अच्छी खासी है और पार्टी की नौ राज्यों में सरकार भी है लेकिन जिस तरह की चूक पार्टी की ओर से की जा रही है उसका खमियाजा इन तथ्यों से पूरा नहीं किया जा सकता। भाजपा नेता ने कहा कि हाल ही में हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में उन्होंने कहा था कि यदि लोग संप्रग सरकार से नाराज हैं तो वे भाजपा से भी निराश हैं। उन्होंने कहा कि यह पार्टी के लिए आत्म-चिंतन का वक्त है।