सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को ठेंगा दिखा रही है सरकार
बार-बार कहने के बावजूद नहीं हुआ ह्यूमेन राईट कमीशन गठित
करनाल (अनिल लाम्बा) : सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले वर्षों में हरियाणा समेत कुछ राज्यों को मानवाधिकार आयोग गठित करने के दिशा-निर्देश देने के बाद भी अभी तक प्रदेश में मानवाधिकार आयोग गठित नहीं हुआ है जबकि हरियाणा और पंजाब मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले में सबसे आगे है | यहाँ पर प्रतिदिन लोगों के मानवाधिकारों उल्लंघन होता है | जिनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है | पिछले दिनों जाट आरक्षण आन्दोलन के दौरान रेलवे ट्रैक को बाधित करने के कारण हजारों लोगों के मानवाधिकारों का प्रतिदिन उल्लंघन हुआ | सरकारी सम्पति को नुक्सान पहुंचा | रेलवे को भारी नुक्सान हुआ | इस सबके बाद भी प्रदेश सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी | प्रदेश में मिर्चपुर मामले में भी सैंकड़ों लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ | निचले वर्ग के लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा | करनाल में सालवन काण्ड भी मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे बड़ा मामला रहा | यहाँ पर जिस तरह से लोगों के मानवाधिकार सुरक्षित नहीं है, राष्ट्रीय स्तर पर भले ही मानवाधिकार आयोग है लेकिन राज्य स्तर पर मानवाधिकार आयोग गठित ना होने के कारण लोगों को समय पर न्याय नहीं मिल पाता | मानवाधिकार आयोग जिस तरह से देश भर में काम करता रहा है, उससे कईं लोगों को न्याय मिला है | प्रदेश के गठन के साड़े चार दशक गुजरने के बाद भी अभी तक मानवाधिकार आयोग का गठन ना होना यहाँ की सरकारी मशीनरी के मानवाधिकारों के प्रति रवैये को उजागर करती है | मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पिछले कार्यकाल में राज्य में मानवाधिकार आयोग के गठन के बारे में बात की थी लेकिन उसके बाद यह मामला ठन्डे बस्ते में चला गया | इसके बाद मानवाधिकारों की बात किसी ने नहीं की | अप्रत्यक्ष तौर पर सता में बैठे लोग राज्य में मानवाधिकार आयोग की जरूरत ही नहीं समझते | अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार चार्टर पर हस्ताक्षर भारत सरकार ने भी किया था | उसके बाद यह तय हो गया था क़ि हर राज्य में राज्य स्तर पर मानवाधिकार आयोग का गठन किया जाएगा | अभी तक देश के तेरह राज्यों में मानवाधिकार आयोग का गठन नहीं किया जा सका है | उनमें हरियाणा भी एक राज्य है |
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