धारा 134-ए को शिक्षा, विद्यालय व अभिभावक विरोधी
करनाल (अनिल लाम्बा) : सी.बी.एस.ई. व हरियाणा बोर्ड से सम्बद्ध छह सौ पचास से अधिक निजी स्कूलों ने फैडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन्स के तत्वावधान में जिला करनाल में आज पूर्ण बन्द रख कर हरियाणा शिक्षा नियमावली के उपनियम 134-ए के प्रावधानों के विरोध में एक कड़ा संदेश हरियाणा सरकार व शिक्षा विभाग को दिया है। करनाल जिला मुख्यालय में एस.बी.एस. स्कूल रेलवे रोड में बड़ी संख्या में एकत्रित हुए जिला भर के स्कूल संगठनों, स्कूल प्रबंधन के पदाधिकारियों व स्कूल प्रधानाचार्यों ने एकमत होकर धारा 134-ए को शिक्षा, विद्यालय व अभिभावक विरोधी व्यवस्था करार दिया है। धारा 134-ए के औचित्य पर सवाल उठाते हुए सभी शिक्षाविदों ने इसे अभिभावकों, विद्यार्थियों व स्कूल प्रबंधन में टकराव पैदा करने वाली व केंद्र सरकार को शिक्षा अधिकार अधिनियम के व्यवस्था के विपरीत बताते हुए इसे तुरंत प्रभाव से रद्द करने की मांग की है। हरियाणा फैडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ-साथ सी.बी.एस.ई. स्कूलों के संगठन सहोदय स्कूल काम्पलेक्स के प्रधान राजन लांबा, कुलजिंद्र मोहन सिंह बाठ, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) एन.के. भंडारी, दीवान कुलदीप चोपड़ा, नवजोत सिंह वड़ैच इत्यादि ने बड़ी संख्या में उपस्थित शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी निजी स्कूल समग्र, समाज के सभी वर्गों को आसानी से उपलब्ध, सस्ती व स्तरीय शिक्षा प्रदान किये जाने के पूर्णतय: पक्ष में हैं, परंतु केवल हरियाणा प्रांत में शिक्षा नियमावली की धारा 134-ए लागू करके सरकार ने स्कूलों के समक्ष अपना अस्तित्व बचाए रखने का संकट ही उत्पन्न कर दिया है। वक्ताओं ने सरकार से अपील की कि वह पहले राजकीय स्कूलों में ये व्यवस्था लागू कर उसके परिणाम देखें। इसके साथ-साथ कुछ निजी स्कूल प्रबंधकों जैसे दून ग्रुप ऑफ स्कूल के निदेशक श्री कुलजिंद्र एम.एस. बाठ ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मात्र पहली कक्षा में 25 प्रतिशत स्थान बी.पी.एल परिवारों को दिये जाने हेतु अपनी सहमति प्रदान की। लगभग सभी स्कूल संचालक इस बात पर एकमत दिखे कि अगर आर.टी.ई व धारा 134-ए के प्रावधान इक्ट्ठे लागू किये गये तो पचास प्रतिशत आरक्षण नि:शुल्क देना निजी स्कूलों के लिए पूर्णतय: अव्यवहारिक व साधारण अभिभावक को प्राप्त हो रही स्तरीय शिक्षा कई गुणा महंगी कर देने वाला सिद्ध होगा और पूरे देश में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की केंद्रीय सरकार की योजना की राह में रोड़ा भी साबित होगा। उल्लेखनीय है कि धारा 134-ए के प्रावधानों के अनुसार दो लाख से कम आय वर्ग के लोगों के लिए पच्चीस प्रतिशत नि:शुल्क शिक्षा व्यवस्था निजी स्कूलों में लागू किया जाना प्रस्तावित है, जबकि पचानवे प्रतिशत अभिभावक इसी आय वर्ग के अंतर्गत आते हैं। इन बहुसंख्यक अभिभावकों में से पच्चीस प्रतिशत अभिभावक चुनना, उन्हें आर्थिक रूप से पिछड़ी श्रेणी में रखना व निजी स्कूलों में प्रवेश हेतु आरक्षण देना स्कूलों के साथ-साथ सरकार के समक्ष भी पूर्णतय: अव्यवहारिक व चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकता है। जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों में आपसी असंतोष फैल सकता है व वर्तमान में जारी शिक्षा व्यवस्था तहस नहस होने के कारण हरियाणा प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है। अपने संयुक्त विरोध प्रदर्शन के अंत में सभी स्कूल प्रबंधकों ने उपायुक्त करनाल श्रीमती नीलम प्रदीप कासनी के माध्यम से हरियाणा के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री हेतु ज्ञापन प्रस्तुत किया, जिसमें तुरंत प्रभाव से धारा 134-ए के भेदभावपूर्ण कानून को तुरंत प्रभाव से रद्द करने का अनुरोध किया गया है तथा सरकार द्वारा अडिय़ल रवैया अपनाए जाने की सूरत में स्कूल संगठन पूरे हरियाणा में प्रदेश स्तरीय बंद पर भी विचार कर सकते हैं। इस अवसर पर ओ.पी.एस. इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल नीरू सेतिया, ग्रीनलेंड पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल सुषमा चोपड़ा, एस.एस. इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल मंजु भारद्वाज, ओ.पी.एस. विद्या मंदिर के प्रिंसिपल डा. जसजीत सूद, प्रताप पब्लिक स्कूल जरनैली कालोनी करनाल की प्रिंसिपल श्रीमती पूनम नेवट, प्रताप पब्लिक स्कूल सेक्टर-6 करनाल की वाइस प्रिंसिपल श्रीमती वीना मेहला, एम.एन.एम. स्कूल से अंजु सहगल, हरियाणा पुलिस पब्लिक स्कूल से सविता कपूर, गुरुतेग बहादुर पब्लिक स्कूल से भूपेंद्र कौर, निशांत स्कूल से स्नेहलता बक्शी व हरियाणा बोर्ड से सम्बद्ध स्कूलों से संजय पठानिया, रवि शर्मा, सुशील शर्मा, सुरेंद्र चौहान, सुरजीत सुभरी, गोपी शर्मा, धर्मवीर काजल, तेजबीर, डी.के. शर्मा, साहब सिंह, के.एस. लाठर, पवन कुमार, इत्यादि बड़ी संख्या में शिक्षाविद मौजूद थे। 
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