Thursday, May 10, 2012

कोख में पल रही बेटी पर कब तक तना रहेगा खंजर, कब रह पाएगी कमला गर्भ में सुरक्षित


करनाल, (इंडिया विसन): कोख में पल रही बिटिया पर कब तक खंजर तना रहेगा। कब तक हालात बन पाऐंगें। जब मां-बाप बेटी को जन्म देने में खुशी महसूस करेंगें। मजमा लगाने से यदि तस्वीर बदली होती तो अब तक हरियाणा के सिर से कलंक डूब चुका होता। इस देश में न आना लाडो, हरियाणा और पंजाब कन्या भ्रूण हत्या के मामले में लगातार शीर्ष पर जाते रहे है। यदि देखा जाए तो सबसे ज्यादा कन्या भ्रूण हत्या शहरों और पढ़े लिखे लोगों मे होती है। यहां तक की डाक्टर प्रोफैसर, ुुबुद्धजीवी भी इस पाप में बराबर के भागीदार हो जाते है। पैसे भी भूख ने आदमी को इंसान से शैतान बना दिया है। सामान्य लोगों में इतनी समझ नही होती कि वह भ्रूण हत्या के लिए तैयार हो जाए। बड़े परिवारों पर ही दहेज की तलवार लटकी होती है। जिस तरह से शादियों में खर्चे बढ़ते जा रहे है। युवतियों की आबरू असुरक्षित होती जा रही है। यदि देखा जाए तो करनाल में बलात्कार, छेड़छाड़ का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। यह भी कन्या भ्रूण हत्या के पीछे प्रमुख कारण है। इस मुद्दे को लेकर समाज के बुद्धिजीवियों से चर्चा की। जिसको लेकर यह बात आम तौर पर खुलकर सामने आई कि कन्या भ्रूण हत्या जब तक कम नही होगी तब तक लोग अपनी मानसिकता में सुधार नही लाऐंगें। चर्चा की शुरूआत करते हुए समाजसेवी एस.पी. चौहान ने बताया कि आज भी लोग बेटी होने पर अपना वंश सुरक्षित नही मानते। जिस तरह से नारी का उपयोग उपभोक्ता सामग्री के तौर पर उपयोग किया जा रहा है उससे नारी सुरक्षित नही रही। नारी के प्रति असुरक्षा का भय इस पाप को बढ़ावा दे रहा है। उनकी केवल बेटियां है। उन्होंने कभी अपने आप को असुरक्षित नही माना। दीपक धवन ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या जब तक बंद नही होगी तब तक दहेज प्रथा महिलाओं के प्रति अपराध पर पूरी तरह से अंकुश नही लग जाता। बलजीत साल्यान ने बताया कि सबसे पहले दसवंी सदी में जब महिलाओं का अपहरण शुरू हुआ था उस समय के बाद से कन्या हत्या की कुरीति शुरू हुई। कई राज्यों में कन्या को जन्म देते ही मार दिया जाता था, लेकिन आधुनिक दौर में अब सभ्य समाज के लोग कन्या को गर्भ में मारने लगे है। यह चिंताजनक स्थिति है। डा. शशि भूषण मदान ने बताया कि डाक्टर को पहले इंसान भी बनना होगा। जब तक इंसानियत पैसे की भूख से अछूती रहेगी। तब तक डाक्टर इस पाप को नही करेगा। व्यवसाई जे.आर. कालड़ा ने बताया कि भौतिकवाद और पैसे की ताकत के प्रचलन ने इस पाप को जन्म दिया। पंकज पूनिया ने बताया कि भ्रूण हत्या के खिलाफ जागृति लाना जरूरी है। सतीश शर्मा ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या यदि रैलियों से बंद हो गई होती तो करनाल का नाम सबसे ऊपर होता। सबसे पहले लोगों की आत्मा को जगाना होगा। नरेंद्र अरोड़ा एंव नीटू मान ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या पर पांबदी तभी सार्थक होगी जब कन्या को  बराबरी का दर्जा मिलेगा। 

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