मुरथल कुछ सवाल पूछ रहा है।
बिना जांच, बिना शिकायत, बिना पीड़ित, बिना गवाह-सुबूत....सब तय कर लिया देश ने??
सड़क के किनारे या झाड़ियों के आसपास कपड़े या कोई और चीजें दिल्ली में भी मिल जाएंगी। मैंने खुद देखी हैं बेहद आपत्तिजनक चीजें पॉश इलाकों की सड़कों के किनारे। क्या इसका मतलब वहां सब जगह रेप हुए हैं? और ये भी तय हो गया कि वे आंदोलनकारी ही थे, एक ही जाति के थे?
जीटी रोड की ही झाड़ियों को छान लीजिए, 20-30 जगह मिल जाएंगी ये सब चीजें। दिल्ली में तो पचासों जगह।
मैं दावा नहीं करता कि ये सब झूठ है। साजिश भी हो सकती है, घटना के रूप में, खबर के रूप में। अगर ऐसा हुआ है तो दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी ही चाहिए। लेकिन अगर ये अफवाह है तो उन्हें माफी कैसे मिलेगी जो इस आधार पर राज्य और एक जाति को बदनाम कर रहे हैं? दिल से सोचिए एक बार कि अगर सवालों में आपके गांव-जाति के लोग हों तो भी क्या इतनी जल्दी ही निष्कर्ष निकालेंगे आप?
मीडिया और अखबारों का हाल अंदर तक का जानता हूं मैं। आपको एक अखबार पर भरोसा है, किसी भी एजेंसी पर नहीं। बाकी सब अखबारों और चैनलों की रिपोर्ट ट्रिब्यून की उसी खबर के आधार पर है। अखबार में जिनके हवाले से खबर छपी थी, वे सभी लिखित में दे चुके हैं कि बलात्कार की बात उन्होंने नहीं कही।
एक बात और, हरियाणा के ही गोपाल कांडा पर बलात्कार और आत्महत्या का केस है, विनोद शर्मा के बेटे को हत्या करने पर सजा हुई है। डीजीपी एसपीएस राठौड़ ने बच्ची को छेड़ा था। क्या इस पर मैं ये कहने लगूं कि सारे बनिये और राजपूत दुराचारी होते हैं और ब्राह्मण हत्यारे?? कभी नहीं कहूंगा। हो भी नहीं सकता ऐसा।
मुरथल मामले में सच्चाई मिली तो भी गुनेहगार वे 20-30 लोग ही होंगे। ना कि पूरा हरियाणा, ना ही उनकी पूरी जाति।
दिल सच में बहुत दुखी है, प्लीज बिना सोचे समझे कुछ भी लिखकर या शेयर करके ज़हर ना घोलें। कोई और करे तो उसे टोकें, मैं करूं तो मुझे भी।
Saturday, February 27, 2016
मुरथल.....😢😢😢😢😢.......😢😢😢😢........😢😢😢😢😢?
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