Thursday, March 3, 2011


तीन करोड़ घुसपैठियों को नागरिकता का तोहफा

army--19करनाल, (अनिल लाम्बा)। केंद्र सरकार सन 1971 के बाद देश में आए लगभग तीन करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता का तोहफा देने जा रही है। बांग्लादेश समेत अन्य देशों के भी जो व्यक्ति अवैध तौर पर रह रहे हैं, अब वे भी भारतवासी बन सकते हैं क्योंकि जनगणना के बाद उन्हें यूनीक आइडेंटीफिकेशन कार्ड जारी किया जाएगा। जनगणना में चूंकि व्यक्ति गिनने हैं, इसलिए बांग्लादेशियों समेत अन्य की भी गिनती हो रही है। बताते चलें कि इस राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के आधार पर ही प्रत्येक व्यक्ति को एक अनूठी पहचान संख्या ‘यूआईडी’ जारी किया जाएगा। उसके बाद इसे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के डाटाबेस में जोड़ा जाएगा। इसी के आधार पर राष्ट्रीय पहचान पत्र तैयार किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो जनसंख्या रजिस्टर के आधार पर ही डीएनए डाटाबेस और नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड भी तैयार किया जाएगा जिससे आतंकी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाते समय बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान को लेकर सरकार के पास न कोई स्पष्ट नीति है और न ही राजनीतिक इच्छाशक्ति। यदि जनसंख्या रजिस्टर भरते समय बांग्लादेशी घुसपैठी प्रश्न 11 का उत्तर देते समय अपनी राष्ट्रीयता ‘भारतीय’ घोषित करता है तो उससे राष्ट्रीयता के बाबत कोई प्रश्न नहीं किया जाएगा और न ही कोई सबूत मांगा जाएगा। रजिस्टर में वहीं लिखा जाएगा जो उत्तरदाता जनगणनाकर्मी को बताएगा। ऐसे में वैसे बांग्लादेशी जो भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में भारत के नागरिक हो जाएंगे। और उन सभी बांग्लादेशी घुसपैठियों को जो 25 मार्च 1971 के बाद भारत में अवैध रूप से आए उनको सरकार राष्ट्रीय पहचान पत्र देकर भारतीय नागरिक बना देगी। दरअसल, यह योजना भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ‘राजग’ के शासनकाल में स्वीकृत हुई थी। लेकिन, कितनी अजीब विडंबना है कि जिस योजना की मंजूरी बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए की गई थी, आज वही योजना भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता का तोहफा देने जा रही है।वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1,028,610,328 करोड़ थी। इसमें 1.25 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिए सम्मिलित हैं जो अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं। वर्तमान में अवैध घुसपैठियों की संख्या लगभग 3 करोड़ है। असम के पूर्व राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने कहा था कि 6000 बांग्लादेशी अवैध रूप से प्रतिदिन सीमा पार कर भारत में प्रवेश करते हैं। यह अवैध घुसपैठ प्रतिवर्ष लगभग 22 लाख होती है। बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा एवं बिहार की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। 2001 की जनगणना के अनुसार, असम में हिन्दू वोटरों में प्रतिवर्ष 19 प्रतिशत और मुस्लिम वोटरों में 35 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। यदि घुसपैठ इसी प्रकार होती रही तो वर्ष 2025 तक असम में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। इस वृद्धि दर को पुष्ट करने के लिए बांग्लादेश के चुनाव आयोग से प्रकाशित तथ्य काफी हैं। जिसमें कहा गया है कि 1996 के लोकसभा चुनाव के पूर्व बांग्लादेश में मतदाता सूची का पुनरीक्षण करते समय 12 लाख लोग लापता पाए गए। फलस्वरूप 1996 के मतदाता सूची में से 12 लाख लोगों के नाम हटाए गए। यह बताने की आवश्यकता नहीं कि ये 12 लाख लोग कहां गए। इसके बावजूद भारत (विशेषकर असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, उड़ीसा, प. बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश) की मतदाता सूची में लाखों की संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए शामिल हैं। लेकिन भारत सरकार जन प्रतिनिधित्व कानून 1950 की दफा 16 (1) के अनुसार, अभी तक इनके मताधिकार को रद्द नहीं किया गया। इन घुसपैठियों को निकालना तो दूर की बात है, सरकार उनके संरक्षण का पूरा बंदोबस्त कर रही है।भारत से बांग्लादेश की 4096.7 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा जुड़ती है। असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, प. बंगाल, उड़ीसा और बिहार से जुड़ी बांग्लादेश की सीमा पर पाकिस्तान और चीन की तुलना में सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत ढीली व अपर्याप्त है, वहीं सीमा की लंबाई सबसे ज्यादा। 1947 में विभाजन के समय तय किया गया ‘नो मेंस लैंड’ अधिकतर समतल, पर्वतीय दुर्गम प्रदेशों और नदी क्षेत्र में आता है। हालांकि भारतीय सीमा के अंदर 150 गज की दूरी पर 1985 में पहली बार तारबंदी और सन् 2000 में द्वितीय चरण की तारबंदी की गई। भारत सरकार का दावा है कि तारबंदी का 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, जबकि सीमा पर हकीकत कुछ और ही है। अधिकतर चेक पोस्ट व बॉर्डर एरिया पर तारबंदी क्षतिग्रस्त है या है ही नहीं। जगह-जगह रास्ता बना हुआ है। कई जगहों पर कमजोर और ढीली तारबंदी है। इसके अलावा बॉर्डर पर सीमा चौकी और बीएसएफ के जवानों की संख्या में कमी के कारण बांग्लादेश से आसानी से घुसपैठ हो जाती है। इतना ही नहीं, आईएसआई भी बांग्लादेश की सीमाओं के रास्ते से ही आसानी से भारत में पहुंचती है और अलकायदा और लश्कर-ए-तय्यबा जैसे कट्टरपंथी संगठनों के साथ मिलकर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रही है और हमारी सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। बहरहाल, आज पूरे देश में 195 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां बांग्लादेशी नागरिक मतदाता बनकर चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टी बांग्लादेशियों के अवैध घुसपैठ को लेकर सोयी हुई है।

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