आज़ादी के बाद से ही भारत के विकास एवं संवर्धन के लिए उपलब्ध कार्य जाने
वाला धन सत्ता पर काबिज भ्रष्ट राजनेताओं और अफसरों द्वारा चोरी छिपे
अवैध तरीके से विदेशी बैंकों में जमा कराया जाता रहा है ताकि भविष्य में
उन्हें अथवा उनके वंशजों को कभी कोई आर्थिक तंगी अनुभव न हो और वे
निर्बाध रूप से अपनी इच्छानुसार गतिविधियाँ जारी रख सकें ।
भारत की भोली और गरीब जनता का तो दो जून की रोटी कमाने और बच्चे पालने
में ही दम निकल रहा है । उनके पास संघर्ष के लिए शक्ति बचती ही नहीं है
इसलिए वो बेचारे इस अत्याचार को जानते हुए भी सह रहे है । वे संघर्ष
करेंगे तो उनके बच्चों को कौन पलेगा । यही चिंता उन्हें आखरी हद तक इस
अत्याचार को सहन करने की मजबूरी देती है । किन्तु वे मन ही मन अपने
बच्चों का हक मारने वाले इन अत्याचारी लोगों को कभी माफ़ भी नहीं करते इस
लिए जब भी कोई इन अत्याचारियों के खिलाफ खडा होता है तो दबी जुबां में ही
सही वो उस साहसी व्यक्ति को समर्थन ज़रूर देते हैं किन्तु अब तो पानी सर
से गुजर चुका लगता है क्योंकि वही कमज़ोर जनता अन्ना हजारे और बाबा रामदेव
के साथ खुल कर सामने आ रही है और इन लुटेरों से हिसाब मांग रही है ।
सरकार संभवतः आम आदमी की इस आवाज़ को अभी सुन और समझ नहीं पा रही है जो
उसकी आवाज़ को दबाने का काम कर रही है । यदि संसद जनता की चुनी हुई है और
भारत की जनता का प्रतिनिधित्व करती है तो जनता का दुःख और उसकी आवाज़ संसद
में प्रतिध्वनित क्यों नहीं होती है ? जनता को कभी अन्ना हजारे और कभी
बाबा राम देव के रूप में खड़े होना पड़ता है । जनता की आवाज़ को अनसुना
करने की गलती मिस्र के हुस्ने मुबारक और लीबिया के कर्नल गदाफी ने भी की
थी जिसका अंजाम सबके सामने है ।
एक प्रसिद्ध कहावत है "आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे"
सरकार को चाहिए की असमंजस की स्थिति को छोड़े । आज नहीं तो कल ये पैसा
भारत में आकर ही रहेगा क्योंकि भारत की जनता अब अन्ना हजारे और बाबा
रामदेव के रूप में जाग चुकी है । इसलिए भलाई इसी में है कि सरकार
भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के स्थान पर उनसे पल्ला झाड कर उन्हें
जनता के सामने नग्न करे और सख्त से सख्त सजा दे । भारत की जनता से लूट कर
एकत्र किये गए इस काले धन को वापस लाकर और भ्रष्टाचार को मिटा कर जीत का
सेहरा अपने सिर बांध ले अन्यथा किसी ने सच ही कहा है मनमोहन का तो कुछ
नहीं बिगड़ेगा किन्तु उनका क्या होगा राजनीति जिनका पुश्तैनी पेशा है ।
वाला धन सत्ता पर काबिज भ्रष्ट राजनेताओं और अफसरों द्वारा चोरी छिपे
अवैध तरीके से विदेशी बैंकों में जमा कराया जाता रहा है ताकि भविष्य में
उन्हें अथवा उनके वंशजों को कभी कोई आर्थिक तंगी अनुभव न हो और वे
निर्बाध रूप से अपनी इच्छानुसार गतिविधियाँ जारी रख सकें ।
भारत की भोली और गरीब जनता का तो दो जून की रोटी कमाने और बच्चे पालने
में ही दम निकल रहा है । उनके पास संघर्ष के लिए शक्ति बचती ही नहीं है
इसलिए वो बेचारे इस अत्याचार को जानते हुए भी सह रहे है । वे संघर्ष
करेंगे तो उनके बच्चों को कौन पलेगा । यही चिंता उन्हें आखरी हद तक इस
अत्याचार को सहन करने की मजबूरी देती है । किन्तु वे मन ही मन अपने
बच्चों का हक मारने वाले इन अत्याचारी लोगों को कभी माफ़ भी नहीं करते इस
लिए जब भी कोई इन अत्याचारियों के खिलाफ खडा होता है तो दबी जुबां में ही
सही वो उस साहसी व्यक्ति को समर्थन ज़रूर देते हैं किन्तु अब तो पानी सर
से गुजर चुका लगता है क्योंकि वही कमज़ोर जनता अन्ना हजारे और बाबा रामदेव
के साथ खुल कर सामने आ रही है और इन लुटेरों से हिसाब मांग रही है ।
सरकार संभवतः आम आदमी की इस आवाज़ को अभी सुन और समझ नहीं पा रही है जो
उसकी आवाज़ को दबाने का काम कर रही है । यदि संसद जनता की चुनी हुई है और
भारत की जनता का प्रतिनिधित्व करती है तो जनता का दुःख और उसकी आवाज़ संसद
में प्रतिध्वनित क्यों नहीं होती है ? जनता को कभी अन्ना हजारे और कभी
बाबा राम देव के रूप में खड़े होना पड़ता है । जनता की आवाज़ को अनसुना
करने की गलती मिस्र के हुस्ने मुबारक और लीबिया के कर्नल गदाफी ने भी की
थी जिसका अंजाम सबके सामने है ।
एक प्रसिद्ध कहावत है "आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे"
सरकार को चाहिए की असमंजस की स्थिति को छोड़े । आज नहीं तो कल ये पैसा
भारत में आकर ही रहेगा क्योंकि भारत की जनता अब अन्ना हजारे और बाबा
रामदेव के रूप में जाग चुकी है । इसलिए भलाई इसी में है कि सरकार
भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के स्थान पर उनसे पल्ला झाड कर उन्हें
जनता के सामने नग्न करे और सख्त से सख्त सजा दे । भारत की जनता से लूट कर
एकत्र किये गए इस काले धन को वापस लाकर और भ्रष्टाचार को मिटा कर जीत का
सेहरा अपने सिर बांध ले अन्यथा किसी ने सच ही कहा है मनमोहन का तो कुछ
नहीं बिगड़ेगा किन्तु उनका क्या होगा राजनीति जिनका पुश्तैनी पेशा है ।
No comments:
Post a Comment