Friday, July 22, 2011

एक्‍सक्‍लूसिव:रामदेव से सिब्‍बल ने की थी डील- लोकपाल रोकेंगे, आपकी मांग मानेंगे!

मुंबई | अगर जन लोकपाल बिल अपने सभी प्रावधानों के साथ लागू हो जाए 

तो भ्रष्टाचार से कमाई गई रकम का इस्तेमाल मुश्किल हो जाएगा। इसलिए, 

भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश चल रही है। 3 जून को एक पांच सितारा 

होटल में कपिल सिब्बल ने बाबा रामदेव से कहा कि सरकार जन लोकपाल 

बिल को पास नहीं होने देगी लेकिन उनकी मांगें मान ली जाएंगी । सरकार ने 

लोकपाल आंदोलन की धार कुंद करने के लिए 'बांटो और राज करो' की नीति 

अपनाई थी। सरकार की बाबा रामदेव से हुई डील भ्रष्टाचार से लड़ रहे लोगों 

को बांटने की सरकार की एक और कोशिश थी। लेकिन सौभाग्य से यह 

कोशिश नाकाम रही। कुछ पत्रकार, ब्लॉगर, एनजीओ जो आंदोलन का हिस्सा 

नहीं रहे हैं और छूटा हुआ महसूस करते हैं, वे यह साबित करने की कोशिश 

रामदेव से कहा गया कि वह अन्ना हजारे के साथ मंच साझा न करें। आप यह 


मान सकते हैं कि 4 जून को स्वामी रामदेव और उनके समर्थकों पर रामलीला       

मैदान में इसलिए कार्रवाई की गई क्योंकि 5 जून को हजारे रामलीला मैदान 

जाकर स्वामी रामदेव के साथ मंच पर बैठने वाले थे। कि सामाजिक 

कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के बीच फूट पड़ गई है।इसके बाद इटली के 

कूटनीतिकार मैकियावली के डिवीजन और डाउट (बंटवारा और शक पैदा 

करो) 

सिद्धांत पर अमल करते हुए अन्ना हजारे और उनकी टीम को राष्ट्रीय 

स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के पिट्ठू के तौर पर प्रचारित किया 

गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि मुस्लिमों, ईसाइयों और दूसरे 

अल्पसंख्यकों के बीच मौजूद असुरक्षा की भावना से खेलते हुए धार्मिक आधार 

पर विभाजन किया जा सके। इस पर अल्पसंख्यकों और चिंतित नागरिकों ने 

सवाल खड़े किए थे। गुजरात में ग्राम स्तर पर प्रशासन को लेकर अन्ना हजारे 

की टिप्पणी को बढ़ा चढ़ाकर सांप्रदायिक राजनीति के समर्थन के तौर पर पेश 

किया गया और यही नहीं, बयान को गुजरात में दंगों के समर्थन में भी दिखाने 

की कोशिश की गई। सौभाग्य से टीम अन्ना ने सधे जवाबों से कई तरह के भ्रम 

तोड़े।दलित मीडिया और समाज में यह भ्रम फैलाने की कोशिश की गई कि 

इंडिया अगेंस्ट करप्शन संविधान के खिलाफ है। साथ ही यह भी साबित करने 

की कोशिश हुई कि हजारे बाबा साहब अंबेडकर के खिलाफ हैं। दलित 

कार्यकर्ताओं की मुंबई में हुए एक बैठक के दौरान अन्ना बनाम बाबा अंबेडकर 

से ही जुड़े सवाले पूछे गए। लेकिन एक बार पूरी बात समझ लेने के बाद 

दलित नेताओं ने जन लोकपाल बिल का पूरा समर्थन किया।

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