नई दिल्ली. टीम अन्ना ने सरकार को शनिवार तक की डेडलाइन दे दी है। अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार सुबह अपने साथियों से चर्चा के बाद ऐलान किया कि अगर शनिवार तक इस मुद्दे का हल नहीं निकलता है तो देश भर से लोग दिल्ली पहुंचें। उन्होंने दिल्ली चलो का आह्वान किया। अरविंद ने यह भी साफ किया कि सरकार बातचीत से पहले यह लिखकर भेजे कि उनकी मंशा क्या है। अरविंद ने कहा कि उनकी टीम अन्य राजनीतिक पार्टियों से भी बातचीत करेगी। इसके अलावा टीम अन्ना ने आज शाम पांच बजे लोगों से प्रधानमंत्री के आवास पहुंचने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की है। इस बीच, किसान नेता भी आए अन्ना के समर्थन में आ गए हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने रामलीला मैदान पहुंचकर अन्ना के समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में किसान अन्ना का समर्थन करने के लिए जल्द ही रामलीला मैदान पहुंचने वाले हैं। अन्ना हजारे का अनशन दसवे दिन भी जारी है। वह गुरुवार को करीब पौने 12 बजे रामलीला मैदान में मंच पर आए तो उनके चेहरे पर अनशन का असर साफ दिख रहा था लेकिन उनके उत्साह में कमी नहीं दिखी। उन्होंने रामलीला मैदान में मौजूद हजारों समर्थकों को अपने चिरपरिचित अंदाज में संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘सुबह से डॉक्टर चेक कर रहे हैं। अब भी कोई चिंता की कोई बात नहीं। सिर्फ वजन कम हुआ है। देशवासियों के समर्थन से मुझे ऊर्जा मिल रही है। इसलिए मुझे उम्मीद है कि जब तक लोकपाल बिल नहीं आएगा, तब तक मैं नहीं मरुंगा। हम जनलोकपाल बिल लाकर ही दम लेंगे। आपके सहयोग का शुक्रिया। जय हिंद।’
जन लोकपाल के मुद्दे पर सरकार ने अपना रुख कड़ा कर लिया है तो टीम अन्ना ने भी कड़े तेवर अपनाने के संकेत दिए हैं। गुरुवार को अन्ना हजारे के अनशन का दसवां दिन है, पर सरकार झुकने के मूड में नहीं है। आज दोपहर बातचीत का चौथा दौर होना है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि टीम अन्ना बातचीत का बहिष्कार कर सकती है। टीम अन्ना कह रही है कि वह कांग्रेस की राजनीति का शिकार बनाई जा रही है।
कोर कमेटी की बैठक में टीम अन्ना इस बात पर निर्णय लेने वाली है कि उसे 12 बजे सरकार से बातचीत के लिए जाना चाहिए या नहीं। टीम अन्ना का कहना है कि सरकार बात से पीछे हट रही है। उनका मानना है कि सरकार के पास बिल का ड्राफ्ट है। ऐसे में बातचीत का कोई मतलब नहीं है। अगर सरकार का कोई सुझाव हो तो वह हमें बता सकती है।
वैसे भी अब तक जो बातचीत हुई है, उसमें सरकार का मुख्य जोर अन्ना का अनशन तुड़वाने पर रहता है, न कि जनलोकपाल बिल पारित कराने को लेकर। किरण बेदी ने ट्विटर पर आरोप लगाया है कि सरकार के यू-टर्न की वजह कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति है।
इस बीच, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर गुरुवार सुबह रामलीला मैदान पहुंचे और उन्होंने अन्ना हजारे से मुलाकात की और उम्मीद जताई की बातचीत दोबारा शुरू होगी। प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि कोई हल जरूर निकलेगा। इससे पहले ट्विटर पर किरण बेदी ने टिप्पणी की। इस टिप्पणी के मुताबिक कांग्रेस पार्टी और सरकार की आंतरिक कलह गतिरोध के लिए जिम्मेदार है। सूत्रों के मुताबिक जिन नेताओं ने लोकपाल बिल तैयार किया था, उन्होंने इसे वापस लिए जाने का विरोध किया है। इन लोगों का मानना है कि अगर सरकार ने ऐसा किया तो उनकी बहुत भद पिटेगी और छवि को धक्का लगेगा। अपना बिल वापस न लेने के सरकार के फैसले के पीछे यह बड़ी वजह यही है।
टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि बातचीत से जनतंत्र चलता है। हम उसके लिए तैयार हैं। लेकिन बातचीत के दायरे और स्वरूप पर चर्चा करने की जरूरत है। अरविंद ने कहा कि सरकार अब नए सिरे से कानून तैयार करना चाहती है। उन्होंने नए बिल के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से क्या फायदा होगा। अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर आरोप लगाया कि चिदंबरम और सिब्बल ने मंगलवार रात सीसीपीए की बैठक में लोकपाल बिल को वापस लेने का विरोध किया जिसके बाद शायद अपना रुख कड़ा करते हुए सरकार हमसे किए गए वादों से मुकर गई।
अरविंद ने कहा कि नए सिरे से कानून लिखने के लिए 12 बजे के बाद सरकार की तरफ से टीम अन्ना को बुलाया जा सकता है। अरविंद के मुताबिक सरकार में कौन सा शख्स है जो कहे कि हमसे जो बात होगी वह अंतिम है। उससे हम बात करने को तैयार हैं। केजरीवाल ने मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी से अपना रुख साफ करने की अपील की। टीम अन्ना के अहम सदस्य केजरीवाल के मुताबिक अब लोकपाल बिल संसद के सामने है, तो बीजेपी अब अपना रुख साफ करे। बीजेपी ने पहले कहा था कि संसद में बिल पेश होने के बाद पार्टी अपना रुख जाहिर करेगी। अरविंद ने कहा कि वे लेफ्ट पार्टियों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि लेफ्ट पार्टियों ने जन लोकपाल के कई प्रावधानों पर सहमति जताई है।
टीम अन्ना के ताज़ा रुख पर सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया देते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा, 'हम बातचीत के लिए तैयार हैं। टीम अन्ना ही हमसे बातचीत नहीं करना चाहती है। मेरे कुछ साथी मंत्री नहीं चाहते हैं कि टीम अन्ना से बातचीत हो।' खुर्शीद ने टीम अन्ना के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, सरकार सिर्फ सुनेगी ही नहीं बोलेगी भी। गौरतलब है कि टीम अन्ना ने बुधवार रात कहा था कि आज सरकार ने हमें सुना नहीं सिर्फ हमें सुनाया।
लोकसभा में प्रणब मुखर्जी ने कहा, सरकार अन्ना को लेकर चिंतित
लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने टीम अन्ना और प्रणब मुखर्जी के साथ बुधवार रात हुई तीसरे दौर की बातचीत के बाद सरकार के रुख और वित्त मंत्री के बयान पर संसद में सफाई चाही। इस पर प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘मेरा बयान तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मैंने यह कभी नहीं कहा कि अन्ना का अनशन सरकार की समस्या नहीं है बल्कि सरकार अन्ना की सेहत को लेकर गंभीर है।’ राज्यसभा में अन्ना के अनशन के मुद्दे पर जोरदार हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित की गई।
जन लोकपाल के मुद्दे पर सरकार ने अपना रुख कड़ा कर लिया है तो टीम अन्ना ने भी कड़े तेवर अपनाने के संकेत दिए हैं। गुरुवार को अन्ना हजारे के अनशन का दसवां दिन है, पर सरकार झुकने के मूड में नहीं है। आज दोपहर बातचीत का चौथा दौर होना है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि टीम अन्ना बातचीत का बहिष्कार कर सकती है। टीम अन्ना कह रही है कि वह कांग्रेस की राजनीति का शिकार बनाई जा रही है।
कोर कमेटी की बैठक में टीम अन्ना इस बात पर निर्णय लेने वाली है कि उसे 12 बजे सरकार से बातचीत के लिए जाना चाहिए या नहीं। टीम अन्ना का कहना है कि सरकार बात से पीछे हट रही है। उनका मानना है कि सरकार के पास बिल का ड्राफ्ट है। ऐसे में बातचीत का कोई मतलब नहीं है। अगर सरकार का कोई सुझाव हो तो वह हमें बता सकती है।
वैसे भी अब तक जो बातचीत हुई है, उसमें सरकार का मुख्य जोर अन्ना का अनशन तुड़वाने पर रहता है, न कि जनलोकपाल बिल पारित कराने को लेकर। किरण बेदी ने ट्विटर पर आरोप लगाया है कि सरकार के यू-टर्न की वजह कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति है।
इस बीच, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर गुरुवार सुबह रामलीला मैदान पहुंचे और उन्होंने अन्ना हजारे से मुलाकात की और उम्मीद जताई की बातचीत दोबारा शुरू होगी। प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि कोई हल जरूर निकलेगा। इससे पहले ट्विटर पर किरण बेदी ने टिप्पणी की। इस टिप्पणी के मुताबिक कांग्रेस पार्टी और सरकार की आंतरिक कलह गतिरोध के लिए जिम्मेदार है। सूत्रों के मुताबिक जिन नेताओं ने लोकपाल बिल तैयार किया था, उन्होंने इसे वापस लिए जाने का विरोध किया है। इन लोगों का मानना है कि अगर सरकार ने ऐसा किया तो उनकी बहुत भद पिटेगी और छवि को धक्का लगेगा। अपना बिल वापस न लेने के सरकार के फैसले के पीछे यह बड़ी वजह यही है।
टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि बातचीत से जनतंत्र चलता है। हम उसके लिए तैयार हैं। लेकिन बातचीत के दायरे और स्वरूप पर चर्चा करने की जरूरत है। अरविंद ने कहा कि सरकार अब नए सिरे से कानून तैयार करना चाहती है। उन्होंने नए बिल के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से क्या फायदा होगा। अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर आरोप लगाया कि चिदंबरम और सिब्बल ने मंगलवार रात सीसीपीए की बैठक में लोकपाल बिल को वापस लेने का विरोध किया जिसके बाद शायद अपना रुख कड़ा करते हुए सरकार हमसे किए गए वादों से मुकर गई।
अरविंद ने कहा कि नए सिरे से कानून लिखने के लिए 12 बजे के बाद सरकार की तरफ से टीम अन्ना को बुलाया जा सकता है। अरविंद के मुताबिक सरकार में कौन सा शख्स है जो कहे कि हमसे जो बात होगी वह अंतिम है। उससे हम बात करने को तैयार हैं। केजरीवाल ने मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी से अपना रुख साफ करने की अपील की। टीम अन्ना के अहम सदस्य केजरीवाल के मुताबिक अब लोकपाल बिल संसद के सामने है, तो बीजेपी अब अपना रुख साफ करे। बीजेपी ने पहले कहा था कि संसद में बिल पेश होने के बाद पार्टी अपना रुख जाहिर करेगी। अरविंद ने कहा कि वे लेफ्ट पार्टियों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि लेफ्ट पार्टियों ने जन लोकपाल के कई प्रावधानों पर सहमति जताई है।
टीम अन्ना के ताज़ा रुख पर सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया देते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा, 'हम बातचीत के लिए तैयार हैं। टीम अन्ना ही हमसे बातचीत नहीं करना चाहती है। मेरे कुछ साथी मंत्री नहीं चाहते हैं कि टीम अन्ना से बातचीत हो।' खुर्शीद ने टीम अन्ना के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, सरकार सिर्फ सुनेगी ही नहीं बोलेगी भी। गौरतलब है कि टीम अन्ना ने बुधवार रात कहा था कि आज सरकार ने हमें सुना नहीं सिर्फ हमें सुनाया।
लोकसभा में प्रणब मुखर्जी ने कहा, सरकार अन्ना को लेकर चिंतित
लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने टीम अन्ना और प्रणब मुखर्जी के साथ बुधवार रात हुई तीसरे दौर की बातचीत के बाद सरकार के रुख और वित्त मंत्री के बयान पर संसद में सफाई चाही। इस पर प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘मेरा बयान तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मैंने यह कभी नहीं कहा कि अन्ना का अनशन सरकार की समस्या नहीं है बल्कि सरकार अन्ना की सेहत को लेकर गंभीर है।’ राज्यसभा में अन्ना के अनशन के मुद्दे पर जोरदार हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित की गई।

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