Tuesday, April 10, 2012

तुम तरुण हो या नहीं यह संघर्ष बतायेगा ,

तुम तरुण हो या नहीं तुम तरुण हो या नहीं यह संघर्ष बतायेगा , जनता के साथ हो या और कहीं यह संघर्ष बतायेगा । तुम संघर्ष में कितनी देर टिकते हो , सत्ता के हाथ कबतक नहीं बिकते हो ? इससे ही फैसला होगा – कि तुम तरुण हो या नहीं – जनता के साथ हो या और कहीं । तरुणाई का रिश्ता उम्र से नहीं, हिम्मत से है, आजादी के लिए बहाये गये खून की कीमत से है , जो न्याय-युद्ध में अधिक से अधिक बलिदान करेंगे, आखिरी साँस तक संघर्ष में ठहरेंगे , वे सौ साल के बू्ढ़े हों या दस साल के बच्चे – सब जवान हैं । और सौ से दस के बीच के वे तमाम लोग , जो अपने लक्ष्य से अनजान हैं , जिनका मांस नोच – नोच कर खा रहे सत्ता के शोषक गिद्ध , फिर भी चुप सहते हैं, वो हैं वृद्ध । ऐसे वृद्धों का चूसा हुआ खून सत्ता की ताकत बढ़ाता है , और सड़कों पर बहा युवा-लहू रंग लाता है , हमें मुक्ति का रास्ता दिखाता है । इसलिए फैसला कर लो कि तुम्हारा खून सत्ता के शोषकों के पीने के लिए है, या आजादी की खुली हवा में, नई पीढ़ी के जीने के लिए है । तुम्हारा यह फैसला बतायेगा कि तुम वृद्ध हो या जवान हो, चुल्लू भर पानी में डूब मरने लायक निकम्मे हो या बर्बर अत्याचारों की जड़ उखाड़ देने वाले तूफान हो । इसलिए फैसले में देर मत करो, चाहो तो तरुणाई का अमृत पी कर जीयो , या वृद्ध बन कर मरो । तुम तरुण हो या नहीं यह संघर्ष बतायेगा , जनता के साथ हो या और कहीं यह संघर्ष बतायेगा । तुम संघर्ष में कितनी देर टिकते हो , सत्ता के हाथ कबतक नहीं बिकते हो ? इससे ही फैसला होगा – कि तुम तरुण हो या नहीं – जनता के साथ हो या और कहीं ।– श्याम बहादुर नम्र

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