अफसरों पर नकेल नहीं कस पाए हुड्डा: HARIYANA NEWS
अफसरों की मनमानी से परेशान हैं हुड्डा मंत्री-मंडल के कईं साथी
आखिर क्या कर रहे हैं हुड्डा के साथी…………………….?
करनाल(अनिल लाम्बा) :
बीते दिनों एक साथ ग्यारह अधिकारियों का प्रदेश भर से तबादला और अफसरों की मनमानी तथा सरकार में ही मौजूद कईं मंत्रियों की अफसरों द्वारा बात न मानना इस बात के संकेत हैं की हुड्डा अपनी ही सरकार में अफसरों पर नकेल नहीं कस पाए | इसमें भी प्रदेश के मुख्यमंत्री का दोहरा मापदंड नज़र आ रहा है | हो सकता है कि यह सब मुख्यमंत्री के इशारे पर हो रहा हो या फिर अफसर ही मुख्यमंत्री को दरकिनार कर रहे हैं |
बीते दिनों जिन ग्यारह अधिकारियों का एक साथ तबादला किया गया, उससे साफ़ जाहिर हो गया है कि अफसरों क़ी मनमानी से खुद हुड्डा भी परेशान नज़र आ रहे हैं या फिर उन्होंने दबाव के चलते अफसरों क़ी उठापटक कर दी |
चंडीगड़ में हुए युवा सम्मेलन में वितमंत्री कैप्टन अजय यादव के बेटे चिरंजीवी द्वारा जिन मंत्रियों को आमंत्रित किया गया था, उनमें कुमारी शैलजा, मंत्री रणदीप सुरजेवाला, कैप्टन अजय यादव व् सांसद वीरेंदर सिंह मौजूद दिखाई दिए | हैरानी क़ी बात है कि इस सम्मलेन में खुद मुख्यमंत्री को पहुंचना था और वह चंडीगड़ में थे लेकिन सी.एम्. नहीं आये मगर परेशान करने वाली बात यह रही कि हुड्डा के करीबी खुद मौलाना मुख्यमंत्री के खिलाफ तैयार क़ी गई लाब़ी में खड़े दिखाए दिए |
आपको बता दें क़ि रणदीप सुरजेवाला से कईं महैकमें वापिस ले लिए गए हैं | वीरेंदर और हुड्डा के बीच पहले से ही छतीस का आंकडा है वहीं पर कुमारी शैलजा हाल ही में नारायानगढ़ क़ी रैली में बरस चुकीं हैं | कैप्टन अजय यादव पहले से ही भूमि अधिग्रहण के मामले में अपने आपको हुड्डा का विरोधी साबित कर चुकें हैं | क्या फूलचंद मुलाना सी. एम्. के जासूस बनकर आये थे या फिर वह भी मुख्यमंत्री विरोधी खेमें में शामिल हो गएं हैं | यह बात भले ही राजनीति क़ी है लेकिन सोचने क़ी बात यह है क़ी सभी के सभी प्रदेश क़ी अफसर लौबी से लम्बे समय से परेशान रहे हैं |
बीते दिनों चंडीगढ़ में एक अधिकारी द्वारा एक नेता को ठेंगा दिखाए जाने के बाद इस बात के भी संकेत मिले हैं क़ि अफसरशाही नेताओं पर हावी है | हाल ही में घरौंडा में भी एक अधिकारी ने एक कांग्रेस के ही नेता से तूं-तड़ाक क़ी थी | मगर बाद में दूसरे नेताओं ने बीच बचाव करते हुए मामला निपटाया | हालांकि चर्चा तो यह है क़ि अधिकारी ने नेता को थपड रसीद कर दिया था लेकिन इसकी पुष्टि न होने पर यह मीडिया क़ी सुर्खियाँ नहीं बन पाया | वैसे प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर हुड्डा क़ी ताजपोशी होने के बाद विपक्षी नेताओं ने कम मगर उनके ही विरोधियों ने उन्हें घेरने क़ी कोशिशें तो जारी रखीं मगर सोनिया गांधी से काफी मजबूत रिश्तों के कारण हुड्डा का सिंहांसन डगमगा नहीं पाया |
हुड्डा क़ी सरकार उस समय अधिक चर्चा में आईं जब गुडगाँव में होंडा कर्मचारियों और मालिकों के बीच उपजे विवाद में चली पुलिस क़ी लाठियां मीडिया में छा गयीं | इलेक्ट्रौनिक्स चैनल में खबर आने के बाद तौ हुड्डा सरकार के पसीनें छूट गएँ मगर उसके एन बाद गोहाना में दलित काण्ड होने के बाद हुड्डा सरकार एक बार फिर चर्चा का विषय बनी | जूता कम्पनी के कर्मचारियों पर पुलिस का लाठीचार्ज, मधुबन परिसर में औद्योगिक पुलिस कर्मियों का आन्दोलन और उसके बाद भजनलाल और हुड्डा क़ी राजनीति के मैदान में चली जंग भले ही न थमी हो मगर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सियासी विरोधी हमेशा इसी ताक़ में रहे हैं क़ि किसीं तरह हुड्डा सरकार कांग्रेस क़ी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी क़ी नज़रों से नीचे उतर जाए ताकि हुड्डा के राज को अपनी मुठी में बंद किया जा सके | विरोधियों के तमाम बागी तेवरों के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा परेशान तौ रहे | मगर जो नेता यह चहाते थे क़ी हुड्डा प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में काबिज हो जाएँ वह अब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा क़ी सरकार को महत्व देने क़ी बजाए नज़रअंदाज करने का कार्य कर रहे हैं | आखिर हुड्डा के पुराने वफादार साथी प्रदेश क़ी जनता के बीच में जाकर क्या कर रहे हैं ? सबसे बड़ी बात तो यह है कि आम लोगों को तो केवल यही मालूम है कि कांग्रेस के राज में बिजली का घोर संकट, भ्रष्टाचार के घोटाले व महंगाई कि मार ही पड़ रही है, यह कहना भी गलत नहीं है |
सूत्रों ने बताया है कि प्रदेश कि अफसरशाही भी मनमाने तरीके से काम कर रही है जिसका सीधा असर सरकार कि छवि पर पड़ रहा है | कुल मिलाकर अफसरों कि बदौलत ही सरकार के मंत्री और नेता काफी परेशान रहे हैं | देर सवेर सरकार इन अफसरों का तबादला तो करती रहती है लेकिन वह बात अभी तक नज़र नहीं आ रही | जिसके चलते कांग्रेस के नेता और मंत्री परेशान नज़र आ रहे हैं | राजधानी चंडीगढ़ में ही नहीं बल्कि जिले में बैठे अधिकारियों को भी यह निर्देश दिए गए हैं कि बिना मुख्यमंत्री के नोटिस में लाए किसी भी नेता अथवा मंत्री का काम नहीं होना चाहिए | आम आदमी के काम होना तो दूर क़ी बात, न तो अधिकारी मंत्री और कार्यकर्ताओं क़ी मान रहे हैं और न ही कार्यकर्ताओं के काम सरकार में हो रहे हैं | सोचा जा सकता है क़ि जिस गली से सरकार गुजर रही है, उसके मौड़ कहाँ कहाँ पर हैं, यह किसी को भी नहीं मालूम | शायद अधिकारी जानते हैं क़ि सी.एम् जिस भूमि अधिग्रहण नीति पर चल रहे हैं, वह नीति तो उनकी बनाई हुई है | लाभ मंत्री और कार्यकर्ताओं को मिले या न मिले लेकिन अधिकारी और मंझे हुए खिलाड़ी मौज उड़ा ही रहे हैं |
No comments:
Post a Comment