Saturday, May 14, 2011

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति फिर लटकेगी


हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति 

फिर लटकेगी

नई दिल्ली (अनिल लाम्बा ) पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष की नियुक्ति एक बार फिर टलने वाली है। चुनाव परिणामों के बाद पार्टी आलाकमान अब असम व केरल में नई सरकारों के गठन में उलझ गया है। साथ ही उसे प. बंगाल में गठबंधन सहयोगी तृणमूल के साथ सत्ता में साझेदारी के मुद्दे पर भी फैसला करना है। ऐसे में हरियाणा कांग्रेस नए अध्यक्ष पर फैसला अब जून से पहले नहीं हो पाएगा। संगठन व सरकार के बीच तालमेल के लिए गठित समन्वय समिति का पुनर्गठन भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही होने की उम्मीद है। 
इसलिए हो रही है देरी 
प्रदेश कांग्रेस के दिग्गजों में हर बात को लेकर चलने वाली गुटबाजी अध्यक्ष पद के मामले में भी बदस्तूर जारी है। बेशक आलाकमान ने इस बारे में इन दिग्गजों की नब्ज टटोलने के साथ साथ नए अध्यक्ष को लेकर दोनों गुटों से पैनल भी मांगे हैं, लेकिन किसी एक नाम को लेकर आम सहमति के कोई आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे। मुख्यमंत्री जहां इस पद को लेकर अपने पत्ते सार्वजनिक करने को तैयार नहीं हैं वहीं उनका विरोधी खेमा भी किसी एक नाम पर सहमत न होकर अलग अलग नाम दे रहा है। इन हालात में पार्टी नेतृत्व के लिए भी नई नियुक्ति से पहले जातिगत एवं गुटीय संतुलन साधना कठिन साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री के जाट समुदाय से संबद्ध होने के कारण अध्यक्ष पद किसी गैर जाट की ताजपोशी शुरू से ही निश्चित है। मुलाना चूंकि दलित हैं इसलिए केंद्रीय नेतृत्व अभी तक यह फैसला नहीं कर पा रहा है कि उनके स्थान पर किसी जाति के प्रतिनिधि को प्रदेश में पार्टी संगठन की बागडोर सौंपी जाए। दिल्ली दरबार के सूत्रों के मुताबिक, केरल व असम में नई सरकारों के गठन के बाद ही अब हरियाणा कांग्रेस के नए अध्यक्ष पर विचार की कवायद दोबारा शुरू हो पाएगी।
आठ माह से नियमित अध्यक्ष नहीं 
पार्टी आलाकमान पिछले 8 माह से नए अध्यक्ष के नाम पर फैसला नहीं कर पा रहा, जिसके कारण मौजूदा अध्यक्ष फूलचंद मुलाना ही कार्यवाहक के रूप में पार्टी संगठन की बागडोर संभाल रहे हैं। 28 जुलाई 2007 को शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा देकर पार्टी की कमान संभालने वाले मुलाना का तीन साल का कार्यकाल कभी का समाप्त हो चुका है। पिछले साल 12 सितंबर को चंडीगढ़ में नए अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए आयोजित बैठक में इस बारे में फैसला लेने के लिए सोनिया गांधी को अधिकृत किया गया था। तभी से नए अध्यक्ष की ताजपोशी एकाधिक कारणों से लटकती चली आ रही है।

No comments:

Post a Comment