37 साल से प्रधानमन्त्री इंदिरा की घोषणा नहीं चढ़ पाई सिरे
देश का पहला सर्वोच वीरता पुरस्कार हासिल करने वाली सरस्वती आज भी झेल रही है जिन्दगी का सबसे बड़ा दंश
प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने सरस्वती को आजीवन पैंशन, जिन्दगी भर मुफ्त रेल यात्रा, खेती के लिए १० एकड़ भूमि तथा रहने के लिए मकान बनाकर देने की घोषणा की थी
करनाल (अनिल लाम्बा) : कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भले ही देश की गरीब जनता को लुभाने के लिए उनकी झोपड़ियों में रात गुजारते हो या फिर उनकी थाली में खाना खाते हो। मगर सच्चाई यह है कि गांधी परिवार को गरीबो के वोट लेने की आदत तो है। मगर गरीब का भला करने की फितरत कतई नहीं है।राहुल गांधी की दादी ने बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए १९७३ में जिस १५ साल की आपाहिज लड़की को देश का पहला सवोच्च वीरता पुरस्कार से नवाजा था। वह ३७ साल बाद भी स्वः प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की घोषणा की मोहताज है। कांग्रेस राज में यदि एक प्रधानमंत्री की घोषणा ही गोल हो जाएं तो सोचा जा सकता है कि गांधी परिवार देश के बाकि गरीब लोगों के लिए क्या सेवा भाव रखता होगा। मध्यप्रदेश के होसंगाबाद जिले में स्थित एक कार्यालय के पास बनी झोपड़ पट्टी नुमा मकान में रहने वाली १५ वर्षीय सरस्वती ने आई भीषण बाढ़ में १५० लोगों की जिन्दगी बचाई थी। उसने अपनी जान को खतरे में डालकर एक छोटी सी नाव के सहारे नर्मदा की लहरो से लड़ते हुए लगातार ९ घंटे तक लोगों की जिन्दगी बचाने में लगी रही। राहत कार्यो में जूटे सेना के जवानों ने सरस्वती के इस साहस को कैमरे में कैद कर लिया। नन्ही सरस्वती के जज्बे को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी भी बड़ी प्रभावित हुई। उन्होंने सरस्वती को देश का पहला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया था। यही नहीं उसका उपनाम साहसी भी रखा गया। इस मौके पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने सरस्वती को आजीवन पैंशन, जिन्दगी भर मुफ्त रेल यात्रा, खेती के लिए १० एकड़ भूमि तथा रहने के लिए मकान बनाकर देने की घोषणा की थी। सरस्वती आज ५१ साल की हो गर्इ है। लेकिन इन ३७ सालों में न जाने कितने अधिकारी होसंगाबाद में आए। मुख्यमंत्री भी आए लेकिन किसी ने भी इन्दिरा गांधी की घोषणा को सिरे नहीं चढ़ाया। यही नहीं सरस्वती के हक में घोषणा करने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री भी अपनी घोषणा को भूल गई और उन्होंने मुडकर सरस्वती की ओर नहीं देखा। पिछले कई सालो से सरस्वती इन घोषणाओं को हासिल करने के लिए कलेक्टरो के दरवाजे के आगे नाक तक रगट चुकी है। लेकिन किसी ने भी उस पर रहम नहीं किया। सरस्वती को मकान के लिए जो प्लाट दिया गया था। वहां अब नगर निगम ने सड़क बना दी है। साहसी सरस्वती नाम पर एक फिल्म बनाई गर्इ थी। जिसे दूरदर्शन पर दिखाया गया।यही नहीं इस फिल्म का प्रचार भी किया गया। लेकिन सरस्वती की हालत आज भी जस की तस बनी हुई है। आज भी सरस्वती के पास देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी का भेजा गया पत्र पड़ा है। जिस पर यह लिखा है कि सरस्वती सारे देश को तुम पर गर्व है। लेकिन इन्दिरा गांधी ने जो घोषणाएं की वह सरस्वती को नहीं मिली। इसे देश का दुर्भाग्य ही समझा जाएगा कि देश की एक प्रधानमंत्री द्वारा कि गई घोषणाएं भी हवा हो गई। इसका मतलब यह समझ में आता है कि देश के राजनेता गरीब लोगों के हको के लिए संजीदा नहीं है। ऐसी न जाने कई सरस्वती ठोकरे खा रही है। मगर आज तक उन्हें कोई इमदाद नहीं मिल पाई। अब आप भी समझ गए होंगे कि गरीबो के उत्थान, उनकी मदद तथा उनके आर्थिक विकास का ढ़िंढोरा पीटने वाला यह नेहरू परिवार केवल घोषणाओं तक सीमित रहता है। गरीब को घोषणाओं का कितना लाभ मिल रहा है। इससे नेहरू परिवार का कोई लेना-देना नहीं है
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