Saturday, February 4, 2012

मेवात में भूमि-अधिग्रहण के खिलाफ किसान आरपार क़ी लड़ाई के मूड में


नूंह (मेवात), (अनिल लाम्बा) : हरियाणा सरकार द्वारा आईएमटी रोजका मेव के लिये 1600 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने से मेवात जिला के 9 गांवों के 98 फीसदी किसान बेरोजगार हो गये हैं। इनमें से चार गांव ऐसे हैं जिनके पास सरकार ने शौच करने के लिये भी जगह नहीं छोड़ी। सरकार द्वारा दिया गया मुआवजा भी बहुत से किसानों ने खुर्द-बुर्द कर दिया है जिसकी वजह से वे अब पूरी तरह सड़क पर आ गये हैं। किसान अब सरकार से आरपार की लड़ाई करने के मूड में नजर आ रहे हैं। इसी वजह से उन्होंने सोमवार को जिला प्रशासन के अधिकारियों का घेराव करने का फैसला लिया है। किसान नेता आजाद खां, सौहराब खां और रमजान चौधरी का कहना है कि अब किसान चुप बैठने वाले नहीं हैं। या तो सरकार उनका मुआवजा बढ़ाये या फिर उनकी जमीन का अधिग्रहण समाप्त करे। उन्होंने बताया कि नूंह खंड के नौ  गांवों की करीब 1650 एकड़ जमीन सरकार ने केवल 16 लाख रुपये प्रति एकड़ के भाव  से अधिगृहीत की थी जबकि इन गांवों के पास की ही जमीन जो सोहना क्षेत्र में पड़ती है उसे सरकार ने 53 लाख की दर से प्रति एकड़ अधिग्रहण किया था। जबकि केएमपी रोड, रोजका मेव औद्योगिक क्षेत्र और गुडग़ांव-अलवर हाईवे पर पडऩे वाली इस जमीन की करीब एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ बाजारी भाव है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने जमीन अधिग्रहण के नाम पर खेड़ीकंकर, रूपाहेड़ी, धीरधूका, महरौला गांवों की शत प्रतिशत जमीन अधिग्रहण कर ली है। गांव के लोगों के लिए शौच करने तक भी जमीन नहीं छोड़ी, यहां तक कि इन गांवों के कब्रिस्तान, श्मशान घाट, खेल मैदान भी नहीं छोड़े गये। उन्होंने कहा कि हालत यह है कि गांव बडेलाकी में एक अध्यापक और एक हाल ही में पुलिस में कांस्टेबल भर्ती हुआ है। गांव कवंरसीका में दो अध्यापक और दो बिजली विभाग में क्लास थ्री के कर्मचारी हैं।  गांव रेवासन में केवल एक अध्यापक है। गांव खेड़ी में एक युवक कांस्टेबल है। रूपाहेड़ी गांव में कोई सरकारी कर्मचारी तो नहीं केवल एक एडवोकेट जरूर है। धीरधूका गांव में एक सरकारी अध्यापक, महरौला में एक सरकारी अध्यापक जबकि गांव रोजका मेव में एक भी सरकारी कर्मचारी नहीं है। वहीं बहादुरी गांव बेचिराग है जिसकी कोई आबादी नहीं है। उन्होंने कहा कि शतप्रतिशत भूमि अधिग्रहण करने से गांव खेड़ीकंकर, रूपाहेड़ी, धीरधूका और महरौला के 95 प्रतिशत किसान सड़कों पर आ चुके हैं। गांव खेड़ीकंकर निवासी रमजान, इसाक और हमीदा ने बताया कि उनके पास जितनी जमीन थी सरकार ने उसे अधिग्रहण कर लिया। वह पढ़े-लिखे तो हैं नहीं जो अपना रोजगार चला सकें, सरकार ने जो मुआवजा दिया था उसे वह बैठकर खा रहे हैं। अब उन्हें लगता है कि वह जल्दी ही सड़क पर आ जायेंगे। खेड़ी निवासी  उमर मोहम्मद का कहना है कि उसके चार किल्ले अधिगृहीत हुऐ थे। जमीन बिकने के बाद उसने मकान बनाना शुरू किया तो वे सारे पैसे उसमें लग गये। अब मजदूरों को उनकी मजदूरी देने के लिये भी पैसा नहीं बचा है। उमर खां का  कहना है कि उसने राजस्थान  के सीकरी गांव में 18 बीघा का एग्रीमेंट करा लिया। पैसे देरी से मिलने की वजह से उसके कई लाख रुपये डूब गये। बाकी पैसे से उसने मकान बना लिया और लड़कियों की शादी कर दी। अब उसके पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं है। गांव खेड़ीकंकर के उमर मोहम्मद ने बताया कि मुआवजा मिलने या फिर सारी जमीन का अधिग्रहण किये जाने से तीन किसानों की मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि गांव रेवासन के आसीन, धीरधूका के समीखां और उसके चाचा सवाई खां की इसी सदमे में मौत हो चुकी है तथा गांव धीरधूका निवासी जहूर खां हार्ट अटैक के कारण खेरतल अस्पताल में भरती है। उन्होंने आरोप लगाया कि मेवात जिला के तत्कालीन जिला राजस्व अधिकारी ने किसानों से एक से पांच लाख रुपये की रिश्वत लेकर मुआवजा की राशि वितरित की थी, जिन किसानों ने उन्हें रिश्वत नहीं दी उनके चेक रोक दिये गये जो आज तक नहीं मिले हैं। उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं, डीआरओ ने किसानों से मुआवजा उठाने से पहले औने-पौने दामों में जमीन खरीदी जिसे अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के नाम करा लिया। उल्लेखनीय है कि क्राइम ब्रांच की पुलिस ने डीआरओ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

No comments:

Post a Comment