करनाल, (इंडिया विसन) : प्रदेश भर के होटल एंड रेस्टोरेंट को रैड कैटागिरी में डाले जाने से होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन नाराज है। सोमवार को पांच सितारा होटल नूर महल में एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों और सदस्यों ने सरकार के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार से होटल एंड रेस्टोरेंट को रैड कैटागिरी से बाहर रखने की गुहार लगाई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष कर्नल मनबीर चौधरी ने कहा है कि 12 अप्रैल को मुख्यमंत्री से एसोसिएशन का प्रतिनिधि मंडल मिल कर अपनी मांग रख चुका है और 4 मई को फिर से एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार उनके पक्ष और रुख को समझते हुए होटल एंड रेस्टोरेंट इंडस्ट्रीज को रैड कैटागिरी से बाहर रखने के बारे में गंभीरता से विचार करेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर एसोसिएशन से जुड़े  लोग अगले कदम के बारे में सोचेंगे। उन्होंने कहा कि हैरानगी की बात है कि विश्व में होटल एंड  रेस्टोरेंट इंडस्ट्रीज ऐसी है जिसे पर्यावरण फ्रैंडली माना जाता है लेकिन हरियाणा सरकार द्वारा एक अप्रैल को जारी गई नोटिफिकेशन में होटल एंड रेस्टोरेंट इंडस्ट्रीज को रैड कैटागिरी में रखने से वे हैरान है। कर्नल मनबीर चौधरी ने कहा कि होटल एंड रेस्टोरेंट इंडस्ट्रीज किसी तरह से वातावरण में प्रदूषण नहीं फैला रही है लेकिन बावजूद उन्हें फैक्ट्रियों की कैटागिरी में शामिल कर दिया गया है और लाइसेंस फीस मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि होटल एंड रेस्टोरेंट ही ऐसी इंडस्ट्रीज है जहां पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है और इसके बगैर ये इंडस्ट्रीज चल भी नहीं सकती है लेकिन सरकार ने ऐसा क्यों किया ये समझ से परे हैं। उन्होंने बताया कि थ्री स्टार और फाइव स्टॉर होटलों को तो रैड कैटागिरी में रखा ही गया है साथ ही जिन होटलों में दस से ज्यादा कमरे हैं उन्हें भी रैड कैटागिरी में शामिल किया गया है। इसके अलावा जिन रेस्टोरेंट में 50 से ज्यादा कुर्सियां है उन्हें भी इस कैटागिरी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस कैटागिरी में रखने का अर्थ है कि उन पर प्रदूषण बोर्ड जैसा एक और विभाग थोप दिया गया है। उन्होंने कहा कि होटल इंडस्ट्रीज में न तो चिमनियां का धुंआ होता है और न ही कोई प्रदूषण फैलाया जाता है। बल्कि ये इंडस्ट्रीज तो लोगों को सुख-सुविधाएं मुहैया कराती है। उन्होंने बताया कि सरकार के इस कदम से प्रदेश के कम से कम एक हजार होटल और रेस्टोरेंट प्रभावित होंगे। उन्होंने नगरनिगम द्वारा होटलों पर लाइसेंस फीस लगाने का भी विरोध किया और साथ ही बिजली विभाग द्वारा प्रति किलोवाट पर 130 रुपए मासिक वसूले जाने को भी गैर जरुरी बताया। उन्होंने बार लाइसेंस लेने पर दो लाख रुपए की अतिरिक्त फीस लगाने पर भी एतराज जताया और कहा कि होटल इंडस्ट्रीज पर मॉनिटरिंग एजेंसियों द्वारा वसूली कराई जा रही है। अगर ये जारी रहता है कि होटल एंड रेस्टारेंट इंडस्ट्रीज बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगी। 

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