Monday, May 7, 2012

आभूषण क्षेत्र को राहत प्रदान करने के लिए आखिर झुकना पड़ा प्रणव दा को

नयी दिल्ली, (भाषा) : संसद के भीतर और बाहर दबाव के आगे झुकते हुए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आज आभूषण क्षेत्र को राहत प्रदान करने के कुछ उपायों का ऐलान किया हालांकि कर विवाद में फंसी वोडाफोन को कोई रियायत नहीं देने की पेशकश की। मुखर्जी ने सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (जीएएआर) का कार्यान्वयन एक साल के लिए टाल दिया। लोकसभा में वित्त विधेयक 2012 पेश करते हुए मुखर्जी ने निजी इक्विटी निवेशकों के लिए पूंजी प्राप्ति कर आधा कर दिया। अब यह दस प्रतिशत होगा। उन्होंने सीमा शुल्क कानून के उल्लंघन में शामिल लोगों की गिरफ्तारी के नियमों को भी हलका किया है। उन्होंने सदन के भीतर और बाहर हो रही मांग के आगे झुकते हुए ऐलान किया, ‘सरकार ने तय किया है कि कीमती धातुओं से बने सभी आभूषणों पर, चाहे वे ब्रांडेड हों या गैर ब्रांडेड, 17 मार्च 2012 से लेवी ( एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क)  वापस लिया जाए। मुखर्जी ने कहा कि आभूषण खरीद पर कर (टीसीएस ) की सीमा पांच लाख रुपए की जाएगी जो इस समय दो लाख रुपए है यानी पांच लाख रुपए तक की खरीद पर टीसीएस नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि बुलियन की नकद खरीद की सीमा हालांकि दो लाख रुपए ही रहेगी। बुलियन में दस ग्राम या इससे छोटा सिक्का या अन्य कोई वस्तु नहीं शामिल है।
विदेशी निवेशकों की कड़ी आलोचना हासिल करने वाले जीएएआर के संबंध में मुखर्जी ने कहा कि करदाताओं और कर प्रशासन को सभी मुद्दों के समाधान के लिए अधिक समय देने के उद्देश्य से ‘मैं जीएएआर के प्रावधानों का कार्यान्वयन एक साल के लिए स्थगित करता हूं। अब यह 2013-14 और उसके बाद के वर्षां’ में कार्यान्वित होगा।’ उन्होंने जीएएआर के कुछ प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव किया। इनमें जीएएआर पैनल में स्वतंत्र सदस्य की नियुक्ति शामिल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि  वोडाफोन जैसे विदेशी सौदों में कोई राहत नहीं दी जाएगी।

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