प्रोपर्टी टैक्स और 134-ए बना गले की फांस
करनाल, 11 फरवरी (अनिल लाम्बा) : अब निजी स्कूल संचालक अपनी मांगों को लेकर सरकार के साथ दो-दो हाथ करने के मूड में है। 29 जनवरी को एक दिन की सांकेतिक हड़ताल कर इन्होंने अपने तेवर स्पष्ट कर दिए हैं तो वहीं बीती 8 फरवरी को रोहतक में हुई एक बैठक के बाद निजी स्कूल संचालकों ने एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी मुख्यमंत्री तक अपनी मांगों को पहुंचाऐगी और यदि यहां पर उनकी सुनवाई नही होती तो आगामी रणनीति के तहत निजी स्कूल संचालक कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। उनका कहना है कि यदि उनकी बातें नही मानी गई तो वह सड़कों पर उतरने से भी गुरेज नही करेंगे। हालांकि उन्होंने साथ ही यह भी कहा है कि बच्चों की वार्षिक परीक्षाएं नजदीक हैं और वह ऐसा कोई कदम नही उठाऐंगें जिससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो। इस दौरान बातचीत का दौर जारी रहेगा। ऐसा उन्होंने अपनी बैठक के दौरान स्पष्ट कर दिया है। आपको बता दें कि प्रदेशभर में 8 हजार से लेकर 10 हजार ऐसे निजी स्कूल हैं। जिन पर सरकार 134-ए के तहत विकर सैक्सन के बच्चों को दाखिला देने के लिए दबाव बना रही है, तो वहीं पर प्रोपर्टी टैक्स भी अब गले की फांस बन गया है। हालांकि निजी स्कूल संचालक सरकार द्वारा दाखिले के लिए बनाए गए वर्ष-2011 में जारी कानून के तहत 10 प्रतिशत बच्चों को दाखिला देने को तैयार है, लेकिन वह इस दाखिले पर सरकार अथवा प्रशासन की दखलादांजी नही चाहते। वहीं निजी स्कूल संचालक प्रोपर्टी टैक्स भी देने को तैयार है। बशर्ते कि वह एक साल का हो और सामान्य दरों पर हो। स्कूलों पर सरकार द्वारा साढ़े-12 प्रतिशत के हिसाब से 4 वर्षों का टैक्स लगाया गया है, जोकि 8 लाख से लेकर 55 लाख तक बनता है। इसे भरना स्कूल वालों के बूते से बाहर है, क्योंकि कई स्कूल तो लोन पर भी बने हैं। इस बात की जानकारी करनाल ईकाई के संयुक्त सचिव कुलजिंद्र एम.एस.बाठ ने दी। उन्होनें बताया कि वह इस बाबत सरकार से कई बार बात कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नही हो रही। अब कमेटी जो निर्णय लेगी उसी के अनुसार आगामी रणनीति बनेगी।
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दाखिला देंगें, लेकिन अपने अधिकारों के तहत :- इस बारे में निजी स्कूल संचालकों के संगठन के प्रदेश कोर्डिनेटर जितेंद्र अहलावत ने बताया कि वह 10 प्रतिशत बच्चों को दाखिला देने को तैयार हैं, लेकिन अपने अधिकारों के तहत। उन्होंने बताया कि इस दाखिले के लिए सरकार ने कमेटी गठित की है। जो ऐसा प्रतीत होता है मानो वह स्कूल मनैजमैंट के अंदरूनी कामों में दखलादांजी करती है। उन्होनें कहा कि मैरिट का निर्णय सरकार नही बल्कि स्कूल मनैजमैंट लेगी और सरकार द्वारा बनाए गए 2011 अधिनियम के तहत ही वह बच्चों को दाखिला देंगे।
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प्रोपर्टी टैक्स है बोझ :- वहीं करनाल ईकाई के वरिष्ठ अधिकारी राजन लाम्बा ने बताया कि सरकार द्वारा जो प्रोपर्टी टैक्स लगाया गया है वह स्कूलों पर अतिरिक्त बोझ है। सरकार यदि बच्चों की पढ़ाई में मदद नही कर सकती तो कम से कम निजी स्कूलों को टैक्स मे रियायत करते हुए उनकी मदद कर सकती है, लेकिन सरकार इसके बिल्कुल विपरीत कर रही है। जो टैक्स उन पर लगा है उसे भरना उनके बूते से बाहर है।
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क्या कहती है मेयर :- इस बारे में जब करनाल की मेयर रेणू बाला गुप्ता से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि प्रोपर्टी टैक्स की पोलिसी सरकार की है। इस बारे में वह कुछ नही कह सकती है और न ही कुछ कर सकती।
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