चंडीगढ़, 10 फरवरी (अनिल लाम्बा) : इनेलो की ओर से मुख्य संसदीय रामकिशन फौजी की सीडी मामले में सरकार द्वारा भेजी गई पुनर्विचार याचिका पर सोमवार को हरियाणा के लोकायुक्त जस्टिस प्रीतम पाल के समक्ष बहस हुई। इनेलो नेताओं की ओर से पेश हुए वकील नरेश सिंह शेखावत ने इस पुनर्विचार याचिका का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि हरियाणा लोकायुक्त कानून 2002 में पुनर्विचार याचिका का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इसलिए इस आधारहीन पुनर्विचार याचिका को रद्द कर लोकायुक्त द्वारा पहले दिए गए आदेशों के अनुसार रामकिशन फौजी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के अंतर्गत मामला दर्ज कर उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच करवाए जाने के आदेशों को लागू करवाया जाए। लोकायुक्त ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इनेलो के वरिष्ठ नेता व ऐलनाबाद के विधायक चौधरी अभय सिंह चौटाला व इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कुछ समय पहले सीपीएस रामकिशन फौजी की एक सीडी जारी की थी जिसमें रामकिशन फौजी सीएलयू करवाने के नाम पर पांच करोड़ रुपए की मांग करते हुए दिखाए गए थे। यह मुद्दा हरियाणा विधानसभा में भी प्रमुखता से उठा था और इनेलो विधायकों ने हरियाणा के राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें सीपीएस के खिलाफ हाईकोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट के किसी कार्यरत न्यायाधीश की देखरेख में उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच करवाए जाने की मांग करते हुए सीडी भी सौंपी थी। राज्यपाल ने सीडी सरकार के पास भिजवा दी थी और सरकार ने सीडी मामले की जांच लोकायुक्त को सौंपी थी। लोकायुक्त ने चौधरी अभय सिंह चौटाला व अशोक अरोड़ा के अलावा रामकिशन फौजी को भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था और मामले की सुनवाई के बाद लोकायुक्त ने आदेश जारी कर सरकार से रामकिशन फौजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर किसी वरिष्ठ एवं निष्पक्ष अधिकारी से जांच करवाए जाने के आदेश दिए थे। सरकार ने लोकायुक्त को अपने इन आदेशों पर पुनर्विचार करने के लिए मामला वापिस लोकायुक्त के पास भेज दिया था। सोमवार को लोकायुक्त के समक्ष सुनवाई के दौरान इनेलो नेताओं के वकील नरेश सिंह शेखावत ने कहा कि हरियाणा के जिस मुख्य संसदीय सचिव पर सीएलयू के नाम पर पांच करोड़ रुपए मांगने का आरोप है उस मामले में सरकार लोकायुक्त के आदेश लागू करने की बजाय पुनर्विचार याचिका दायर कर ऐसे सीपीएस को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि रामकिशन फौजी के खिलाफ लोकायुक्त के समक्ष प्रथम दृष्टा भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हो चुके हैं और सीपीएस पर पांच करोड़ रुपए मांगने का आरोप है। इन आरोपों के बारे में एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष जांच से ही सच्चाई सामने आ सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सीपीएस निर्दोष हैं तो जांच में पता चल जाएगा लेकिन सरकार लोकायुक्त की सिफारिश पर एफआईआर दर्ज कर किसी वरिष्ठ निष्पक्ष अधिकारी से जांच करवाने से क्यूं भाग रही है? उन्होंने यह भी कहा कि आज तक लोकायुक्त द्वारा अनेक मामलों में आदेश जारी कर सरकार को भेजे गए लेकिन सरकार ने कभी किसी अन्य मामले में पुनर्विचार याचिका लोकायुक्त के पास नहीं भेजी। वैसे भी लोकायुक्त इससे पहले भी अनेक बार अन्य दर्जनों पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर चुके हैं। इसलिए इस आधारहीन पुनर्विचार को भी तुरंत खारिज किया जाए क्योंकि हरियाणा लोकायुक्त कानून 2002 की धारा 17 में पुनर्विचार याचिका का कहीं कोई कानूनी प्रावधान ही नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद लोकायुक्त ने इस पुनर्विचार याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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