सरकारी अधिकारी ने संभाली इंटरस्टेट टोल टैक्स बैरियर की कमान
सरकार को लग रहा है चूना
प्रतिदिन हो रही है पचीस से तीस हजार की कम कमाई
करनाल (अनिल लाम्बा) : मेंरठ रोड पर हरियाणा और उत्तरप्रदेश के बीच लगा इंटरस्टेट टोल बैरियर की कमान अब अधिकारियों ने सम्भाल ली है | इसे पी. डब्ल्यू. ड़ी. की मकैनिकल शाखा ने सम्भाल लिया है | यहाँ पर ड़ी. सी. रेट पर कर्मचारी रख कर वाहनों से टोल टैक्स वसूला जा रहा है | इस टोल टैक्स से लगभग पचास हजार वाहन प्रतिदिन गुजरते हैं | जिस समय इस टोल बैरियर की कमान प्राइवेट ठेकेदार के हाथ में थी, उस समय पैंसठ से सतर हजार की कमाई प्रतिदिन होती थी, लेकिन जब सरकार के हाथ में कमान आई तो इसकी आय घटकर अठतीस से चालीस हजार हो गई | लगभग तीस से छतीस हजार रूपये की कम इनकम होने लगी | इस सबके के पीछे लाल फीताशाही प्रमुख कारण बताया जा रहा है | इस मामलें में यदि अधिकारियों की बात पर भरोसा करें तो अधिकारी बताते हैं क़ि जो ठेकेदार था, उसके खिलाफ काफी शिकायतें मिल रहीं थी | अधिकारियों द्वारा इसके यहाँ छापा मारा गया था | यहाँ से नकली पर्ची बरामद हुई थी | इसके बाद जब इसका कांट्रेक्ट खत्म हो गया तो उनके पास चंडीगढ़ से आदेश आया क़ि इस टोल बैरियर को अब टेक ओवर कर लिया जाए | उसके बाद इसका संचालन सरकारी अधिकारियों द्वारा ड़ी. सी. रेट पर रखे गये कर्मचारियों के सहयोग से किया जा रहा है | उधर, बताया जा रहा क़ि टोल टैक्स बैरियर पर जो सांठ-गाठ अधिकारियों द्वारा की जा रही है, उसके चलते अधिकारियों व कारिंदों की जेब भर रही है, लेकिन सरकार को नुक्सान हो रहा है | जानकारी के अनुसार मेंरठ रोड पर उत्तरप्रदेश और हरियाणा के बीच पी. डब्ल्यू. ड़ी. के टोल टैक्स बैरियर को सोने के अंडे देने वाली मुर्गी कहा जाता है | इसमें जो भी राजनितिक और प्रशासनिक तौर पर मजबूत होता है, उसी को इसका ठेका दिया जाता है | हालांकि अब तो टैंडर ऑन-लाइन होने लगे हैं | अधिकारी बताते हैं क़ि इसका टैंडर हो चुका है | उन्नीस अप्रैल से नया ठेकेदार इसे टेक ओवर कर लेगा | यहाँ वाहनों से मौता टैक्स वसूला जाता है | यहाँ पर गुजरने वाले वाहन चालकों का यह भी कहना है क़ि जब से सरकारी अधिकारियों के हाथों में ठेका आया है, तब से यहाँ पर रसीद कुछ मिलती है और रुपये कुछ और लिए जाते हैं | सूत्रों ने बताया क़ि पिछले साल यहाँ पर अडसठ हजार का प्रतिदिन आय का टारगेट बनाया था, जिसके बाद यह काफी घट गया | इस समूचे मामले को लेकर जब लोक निर्माण विभाग की मकैनिकल शाखा के अधिक्ष्णयंत्री आर. एस. मेहता से बातचीत की तो उन्होंने इस मामले में अपना फोन काटने में बड़ी तत्परता दिखाई व कोई माकूल जवाब नहीं दिया | यहाँ हैरानी वाली बात यह है क़ि जब यह ठेका प्राइवेट हाथों में था तब इससे प्राप्त होने वाली आय और अब जबकि ठेका सरकार के हाथों में है को प्राप्त होने वाली आय में जमीन आसमान का अंतर है | एसा क्यों है ? इसका जवाब देने के लिए कोई भी तैयार नहीं है | वजह साफ़ है क़ि जब यहाँ कमाई सरकार की कम व अधिकारियों व कर्मचारियों की हो रही हो तो इसका जवाब तो सरकार को ही दूंडना पडेगा | अब देखना यह होगा क़ि सरकार यहाँ क्या कदम उठाएगी |
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