Thursday, June 9, 2011

काया और माया के चक्कर में गंवानी पड़ी है अब तक कईयों को कुर्सी हुस्न की तपिश से नहीं बच पाए थे प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन उर्फ़ चाँद मोहम्मद पूर्व बिजली मंत्री विनोद शर्मा को भी देना पड़ा था इस्तीफा

करनाल (अनिल लाम्बा) : पुरानी कहावत है कि जर, जोरू और जमीन अपने पर आ जाए तो दगा देकर कैरियर का भट्टा बिठा देती है | ताजा पूर्व हत्या प्रकरण में प्रदेश के दो दिग्गज नेताओं का इस्तीफा कोई पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले माया और काया ने कईं राजनीतिक नेताओं का भविष्य चौपट किया है | कोई हुस्न के गेसुओं में उलझ गया तो कोई जमीन और जर के चक्कर में अपनी कुर्सी गंवा बैठा | पूर्व में हुए ताजे प्रकरण में प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन काया कि हुस्न कि तपिश में इतना तप गये कि वह चन्द्रमोहन से चाँद मोहम्मद बन बैठे | फिजा के हुस्न ने उनको इस कद्र लपेटा कि उन्हें अपनी उपमुख्यमंत्री की कुर्सी तक गंवानी पड़ी | लिहाजा चन्द्रमोहन का राजनीतिक कैरियर इस प्रकरण के बाद से अँधेरी गलियों में गुम हो कर रह गया है | हुड्डा की सरकार में ही पूर्व बिजली मंत्री विनोद शर्मा को भी अपने बेटे मनु शर्मा की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था | माडल जैसिका हत्याकांड में विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा का नाम आने के बाद विनोद शर्मा से भी इस्तीफा ले लिया गया था | वहीं स्व: भजनलाल सरकार में ही मंत्री रहे घिराय के पूर्व विधायक छत्तरपाल पर भी एक एयर-होस्टेस को छेड़ने का आरोप लगा था और उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा था | अम्बाला जिला के अंतर्गत आने वाले नग्गल विधानसभा के विधायक निर्मल सिंह भी स्व: भजनलाल सरकार में मंत्री बने थे किन्तु सतेन्द्र सेखों हत्याकांड में उनका नाम आने पर उन्हें भी अपना पद गंवाना पड़ा था | वहीं कांग्रेस की सरकार में ही सिरसा के आत्मा सिंह गिल पर भी एक रेस्ट हाउस में युवतियों के साथ का मामला गरमाया था और आत्मा सिंह गिल ने इस मामले बारे अपनी बहुत सफाइयां दीं थी किन्तु हाईकमान ने उन्हें टिकट नही दी | अब ताजा हुए प्रकरण में कर्म सिंह हत्याकांड में पानीपत ग्रामीण विधानसभा से विधायक एवं हुड्डा सरकार में मंत्री ओम प्रकाश जैन वा असंध से विधायक एवं हुड्डा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव जिले राम शर्मा का नाम आने से मामला इतना गरमा गया कि हाईकमान ने दोनों से इस्तीफे लिए जाएँ और त्वरित कारवाई करते हुए मुख्यमंत्री हुड्डा ने दोनों को दिल्ली बुलाया और इस्तीफे ले लिए | इसे सता का नशा नहीं तो और क्या कहेंगे कि नेता सता के नशे में चूर हो कर अपना राजनीतिक कैरियर तक दांव पर लगा देते हैं | सुधरने वा सबक लेने की बजाय पूर्व के नेताओं के नक्शे-कदम पर चल अपना भविष्य भी चौपट कर लेते हैं |

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