Monday, February 13, 2012

विदेशी बैंकों में भारतीयों के हैं 500 अरब डालर !

विदेशी बैंकों में भारतीयों के हैं 500 अरब डालर ! 
नयी दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा)। भारतीयों ने कर अपवंचन कर सबसे अधिक धन विदेशी बैंकों में जमा कराया है जो तकरीबन 500 अरब अमेरिकी डालर (करीब 24.5 लाख करोड़ रूपया) है।  केन्द्रीय जांच ब्यूरो  ने आज यह जानकारी देते हुए कहा कि मारीशस, स्विट्जरलैंड, लिस्टेनस्टीन, ब्रिटिश वर्जिन द्वीपसमूह जैसी जगहों में पहुंचने वाले अवैध धन का सबसे अधिक नुकसान भारत को पहुंचा है।  ब्यूरो के निदेशक एपी सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधी तथा सम्पत्ति वसूली पर पहले इंटरपोल वैश्विक कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में कहा-एक अनुमान के अनुसार भारतीयों का करीब 500 अरब डालर अवैध धन ऐसे देशों में जमा है जो कर अपवंचकों की पनाहगाह के रूप में जाने जाते हैं। स्विस बैंकों में सबसे अधिक धन जमा करने वाले भी भारतीय हैं।’ उन्होंने कहा कि ऐसे अवैध धन के लेनदेन के बारे में सूचना हासिल करने में वक्त लगता है क्योंकि जिन देशों में यह धन जमा है वहां न्यायिक अनुरोध भेजकर जांचकर्ताओं को परत दर परत खंगालना पड़ता है। सीबीआई निदेशक ने कहा कि जिन देशों में अवैध धन पहुंचता है उनमें सूचना देने के प्रति राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी अर्थव्यवस्था किस हद तक गरीब देशों से आने वाले इस अवैध धन पर निर्भर है।  उन्होंने कहा कि चुराई गई सम्पत्ति का पता लगाना,उस पर रोक लगाना, जब्त करना तथा वापस लाना एक कानूनी चुनौती और एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए दक्षता एवं राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है।  सीबीआई निदेशक ने कहा-2जी, सीडब्ल्यूजी और मधु कोडा जैसे जिन कुछ महत्वपूर्ण मामलों की सीबीआई ने हाल में जांच की उनमें हमने पाया कि धन दुबई, सिंगापुर या मारीशस गया जहां से यह स्विट्जरलैन्ड और कर चोरों की पनाहगाह माने जाने वाले अन्य देशों में पहुंचा। उन्होंने कहा कि अपराधी कुछ छद्म कंपनियां खोलते हैं और चंद घंटो में एक के बाद एक कई खातों में धन हस्तांतरित किया जाता है क्योंकि बैंकिग लेनदेन में देशों की सीमाएं कोई बाधा नहीं है। सिंह ने कहा कि विश्व बैंक का अनुमान है कि आपराधिक गतिविधियों और कर अपवंचन से करीब 1500 अरब डालर एक देश से दूसरे देशों में पहुंचता है जिसमें से 40 अरब डालर विकासशील देशों में सरकारी कर्मचारियों को दी गई रिश्वत का भाग है।
यथा राजा तथा प्रजा
नयी दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा)। भ्रष्टाचार को शासन के लिए एक बड़ा मुद्दा बताते हुए सीबीआई निदेशक ने आज प्राचीन भारतीय शास्त्रों की इस प्रसिद्ध उक्ति को याद किया कि ‘यथा राजा तथा प्रजा।’सीबीआई निदेशक ए पी सिंह ने कहा कि शासन में नैतिकता किसी भी समाज में सुशासन के लिए अहम है। उन्होंने प्राचीन भारतीय शास्त्रों की इस प्रसिद्ध उक्ति का जिक्र किया कि ‘यथा राजा तथा प्रजा अर्थात जैसा राजा होगा, उसकी प्रजा भी वैसी होगी।’ सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ और संपत्ति वसूली संबंधित पहले इंटरपोल ग्लोबल कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में कहा कि भ्रष्टाचार का कोई एक निदान नहीं है और शासन के लिए यह बड़ी चुनौती बन गई है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ कई स्तर पर लड़ाई लडऩी होगी। विकास कार्यक्रम के डिजायन में और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर व्यवस्था और प्रक्रियाएं आपारदर्शी, जटिल, केंद्रीकृत और भेदभावकारी हों तो भ्रष्टाचार के फलने फूलने की आशंका बढ़ जाती है। सीबीआई निदेशक ने कहा कि वित्तीय प्रवाह के नए तरीके और संचार प्रौद्योगिकी ने भ्रष्ट लोगों के लिए ऐसा धन छिपाना और दूर रखना आसान कर बना दिया है।

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