Monday, February 13, 2012

गिलानी पर अदालत क़ी अवमानना का आरोप तय

गिलानी पर अदालत क़ी अवमानना का आरोप तय
इस्लामाबाद, 13 फरवरी (भाषा)। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की मुसीबत आज उस वक्त और बढ़ गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनके  खिलाफ अदालती अवमानना के आरोप तय कर दिए। लोकतंत्र को बचाने की बार-बार दुहाई देने वाले गिलानी ने खुद को बेकसूर बताया, हालांकि शीर्ष अदालत के इस कदम से उनकी कुर्सी पर खतरा मंडराने के साथ ही भारत का यह अहम पड़ोसी मुल्क अस्थिरिता के मुहाने पर खड़ा नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने में नाकाम रहने पर गिलानी के खिलाफ अदालत की अवमानना का आरोप तय किया। 59 वर्षीय गिलानी पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का अभियोग लगाया है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई 22 फरवरी तक स्थगित कर दी। शीर्ष अदालत ने बचाव पक्ष से 27 फरवरी तक सबूत जमा करने को कहा है जिन्हें 28 फरवरी को रिकार्ड किया जाएगा। इसके बाद गिलानी के मामले की सुनवाई की तारीख तय होने की उम्मीद है। सुनवाई शुरू होने पर, सात न्यायाधीशों की पीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति नासिर उल मुल्क ने आरोपपत्र पढ़ा और प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या वह खुद पर लगाए गए आरोपों के बारे में जानते हैं और उन्हें समझते हैं। इस पर गिलानी ने जवाब दिया ”हां, मैंने आरोपपत्र पढ़ा है और उसे समझा है।” न्यायाधीश मुल्क ने पूछा , ” क्या आप आरोप स्वीकार करते हैं।” इस पर गिलानी ने ना में जवाब दिया। सजा के रूप में गिलानी को छह माह की जेल की सजा काटनी पड़ सकती है और वह भविष्य में पांच साल के लिए किसी भी सार्वजनिक पद को ग्रहण करने के अयोग्य भी हो जाएंगे।   अदालत ने इसके बाद अटार्नी जनरल मौलवी अनवारूल हक को मामले में अभियोग चलाने का निर्देश दिया और दस्तावेज सौंपने के लिए 16 फरवरी तक का समय दिया।   अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तारीख तय की है और साथ ही बचाव पक्ष से 27 फरवरी तक सबूत जमा करने को कहा है जिन्हें 28 फरवरी को रिकार्ड किया जाएगा। इसके बाद गिलानी के मामले की सुनवाई की तारीख तय होने की उम्मीद है।  प्रधानमंत्री को हालांकि भावी सुनवाई कार्यवाही में निजी रूप से पेश होने से छूट हासिल रहेगी।   सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिलानी को इस मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद दो साल से सरकार और न्यायपालिका के बीच नेताओं को रिश्वत के मामलों में आम माफी दिए जाने के मामले को लेकर चल रही तनातनी का नया अध्याय शुरू हो जाएगा।   सुबह प्रधानमंत्री अपनी सफेद एसयूवी चला कर अपने आधिकारिक आवास से कुछ ही दूरी पर स्थित सुप्रीम कोर्ट गए। उनके साथ कई वकील थे।  सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह गिलानी की उन्हें अवमानना मामले के सिलसिले में जारी किए गए सम्मन के विरोध में दाखिल अपील खारिज कर दी थी। प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट उन्हें दोषी ठहराता है तो एक सांसद के तौर पर वह स्वत: ही संसद की सदस्यता के अयोग्य हो जाएंगे। आज सुबह से ही तेज बारिश हो रही थी। प्रधानमंत्री का काफिला सीधे अदालत के बाहर सड़क पर रुका। गिलानी ने परिसर के बाहर खड़ी भीड़ की ओर देख कर हाथ हिलाया। वहां बड़ी संख्या में सशस्त्र सुरक्षा बल तैनात थे। अवमानना मामले में गिलानी दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और सुरक्षा के विशेष इंतजाम के तहत हवाई निगरानी के लिए एक हेलीकॉप्टर भी तैनात किया गया था।  गिलानी इससे पहले 19 जनवरी को अवमानना मामले की सुनवाई में पीठ के समक्ष पेश हुए थे। उनके साथ तब उनके वकील ऐतजाज एहसन थे। सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ऐतजाज एहसन देश के अग्रणी विधि विशेषज्ञों में से एक हैं।  सुप्रीम कोर्ट सरकार पर दिसंबर 2009 से जरदारी के खिलाफ स्विटजरलैंड में धन शोधन के मामले फिर से खोलने के लिए दबाव डाल रहा है। उसी समय उसने पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ द्वारा जारी आम माफी के मसौदे को रद्द कर दिया था, जिसके जरिए जरदारी तथा 8,000 अन्य को फायदा हुआ था।

No comments:

Post a Comment