Monday, February 13, 2012

घग्गर नदी पर करोड़ों के मिट्टी घोटाले

घग्गर नदी पर करोड़ों के मिट्टी घोटाले 
गुहला-चीका, 13फरवरी (अनिल लाम्बा) : यहां घग्गर नदी में बाढ़ के दौरान बहकर आई मिट्टी से घग्गर नदी के साइफन में लगे लगभग 4 दर्जन पिल्लर बाढ़ की मिट्टी से अवरुद्ध हो जाने के बाद उन्हें खोलने के नाम पर एक कम्पनी को मिट्टी उठाने के नाम पर दिए गए ठेके के दौरान करोड़ों रुपए के घोटाले का भंडाफोड़ होने का मामला प्रकाश में आया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि जब हरियाणा सरकार ने हांसी-बुटाना नहर को बनाने की गुहला हलका के गांव अजीमगढ़ से शुरूआत की, जिसे घग्गर नदी के नीचे से निकाला जाना था। परन्तु उक्त नहर को घग्गर नदी के ऊपर से निकाल देने के कारण 2010 में आई भयंकर बाढ़ की वजह से पानी पर्याप्त मात्रा में हांसी-बुटाना नहर के नीचे से नहीं निकल पाया, नतीजतन घग्गर में बनाए गए साइफन में बीस-बीस फुट तक मिट्टी जम गई, जिसे साफ करवाने के लिए सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों ने उक्त ठेका मात्र 12 लाख रुपए में कथित रूप से एक चहेते ठेकेदार को दे दिया, जबकि उक्त जगह जमी मिट्टी व घग्गर के सामने लगने वाली डाफ से उठाई जाने वाली मिट्टी की कीमत कम से कम 4 करोड़ रुपए बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई हांसी-बुटाना नहर को सुरक्षित रखने हेतु उक्त नहर व घग्गर नदी के बीच बीस फुट गहरी एक टो-वॉल बनाई गई है, जिसका घग्गर नदी के आसपास स्थित हरियाणा के गांवों के लोगों ने तो विरोध किया ही था, अलबत्ता निकटवर्ती पंजाब स्थित घग्गर नदी के आसपास रहने वाले लोगों ने भी इसका जोरदार विरोध करते हुए प्रदेश सरकार से गुहार लगाई थी कि हांसी-बुटाना नहर व घग्गर नदी के बीच हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई टो-वॉल से घग्गर नदी में आने वाले पानी की निकासी के लिए घग्गर नदी में बनाए गए, साइफन जो कि बाढ़ की मिट्टी से जाम हो गए हैं, उन्हें तुरन्त खुलवाया जाए ताकि बाढ़ के दौरान घग्गर नदी में आने वाला पानी बिना कोई नुकसान पहुंचाए पूरी गति से आगे निकल जाए। इसी के चलते सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों ने घग्गर नदी के साइफनों में जमी मिट्टी व सामने लगी डाफ को हटाने के लिए टैंडर लगाने की अपेक्षा समाचार पत्रों में मात्र एक विज्ञापन देकर खानापूर्ति करते हुए अपने एक चहेते ठेकेदार को 4 करोड़ रुपए की मिट्टी का ठेका मात्र 12 लाख रुपए में देकर न केवल प्रदेश सरकार को मोटी चपत लगाने का कार्य किया है, अलबत्ता अधिकारियों ने भी इसी आड़ में कथित रूप से अपनी मुट्ठी गर्म करने का कार्य किया है।विभाग के अधिकारियों की उक्त कार्रवाई पर इसी बात को लेकर प्रश्रचिह्न उठ रहे हैं कि उक्त मिट्टी को उठाने के लिए अखबारों में मात्र विज्ञापन क्यों दिए गए, जबकि ऐसे बड़े कार्यों के लिए आमतौर पर टैंडर दिए जाते हैं और जो भी ठेकेदार ज्यादा रेट में टैंडर भरता है, विभाग उसके नाम टैंडर छोड़ देता है। परन्तु इसमें ऐसा क्यों नहीं किया गया, यह सवालों के घेरे में है। इस सम्बन्ध में जब विभाग के एस.ई. अरुण मलिक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा घग्गर नदी के साइफनों में जमी मिट्टी को उठवाने हेतु दिए गए ठेके में कोई भी घपलाबाजी नहीं है क्योंकि उक्त मिट्टी को उठाने के लिए तीन व्यक्तियों ने आवेदन किया था, जिस व्यक्ति द्वारा सबसे ज्यादा 3 रुपए 5 पैसे पर क्यूम देने की बात कही गई, उसे ही यह ठेका दे दिया गया है। बहरहाल ठेकेदार द्वारा घग्गर नदी से उठाई जा रही मिट्टी की यदि उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए तो एक बड़े घोटाले का भंडाफोड़ हो सकता है।

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