Wednesday, February 15, 2012

करमापा को अदालत में पेश होने के सम्मन जारी

करमापा को अदालत में पेश होने के सम्मन जारी 
शिमला,(अनिल लाम्बा) : धर्मशाला स्थित मठ से मिली करोड़ों की अवैध करंसी मामले में तिब्बतियों के सबसे बड़े धर्मगुरु उग्येन त्रिनले दोरजे (करमापा) को अदालत में पेश होने के लिये समन जारी किये। पुलिस द्वारा एफआईआर के चलते ऊना की एक अदालत में आगामी छह मार्च को सुनवाई होनी है। अगर करमापा बिना किसी सूचना के अदालत में पेश नहीं होते हैं तो उस सूरत में अदालत उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर सकती है।  गौरतलब है कि मठ से बरामद हुई अवैध करंसी मामले में पुलिस ने करमापा को आपराधिक षड्यंत्र रचने के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत आरोपी बनाया है।  सूत्रों का कहना है कि अपने धर्मगुरु को अदालत में पेश होने से बचाने के लिए तिब्बती समुदाय के लोगों के साथ-साथ निर्वासित तिब्बत सरकार भी पूरा जोर लगा रही है। लेकिन जानकारों का कहना है कि प्रमुख आरोपी होने की वजह से करमापा के लिये इस पेशी से बचना मुश्किल होगा। आमतौर पर इस तरह के आपराधिक मामलों में आरोपी को पहली पेशी में अवश्य पेश होना पड़ता है। बाद में अदालत चाहे तो उन्हें व्यक्तिगत तौर पर पेश होने में छूट दे सकती है। इस पेशी पर देश-विदेश के सभी लोगों की नजरें लगी हैं।  अदालत में 6मार्च को पेश होने के लिए करमापा को समन जारी कर दिया गया। पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) एसआर मरढ़ी ने दैनिक ट्रिब्यून द्वारा संपर्क साधे जाने पर बताया कि करमापा को समन भेजा गया। अब यह उन पर निर्भर करता है कि वे अदालत में पेश होते हैं या नहीं।  ऊना की एसपी सुमेधा द्विवेदी से जब इस संबंध में संपर्क साधा गया तो उन्होंने बताया कि करमापा सहित कुल दस व्यक्तियों को इस मामले में आरोपी बनाया गया है। इनमें कुलभूषण भारद्वाज, संयोग दत्त, आशुतोष, रग्वे छोछंग, डीके धर, रिंगजिंग बागमो और उनके पति करमाकुके खम्पा, गोम्पा सेरिंग और तेनजिंग नामग्याल शामिल हैं। अन्य लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 460, 468, 471 और 420 आदि में धोखाधड़ी और जालसाजी जैसे मामलों में केस दर्ज किया गया है। धर्मशाला स्थित करमापा के मठ से गत्ï वर्ष जनवरी के अंत में मारे गए एक छापे के दौरान पुलिस ने भारतीय करंसी सहित करीब छह करोड़ की विदेशी करंसी बरामद की थी। इतनी अधिक मात्रा में विदेशी करंसी मिलने की इस घटना ने पूरे देश में तहलका मचा दिया था। इस घटना की गूंज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सुनाई दी थी। पुलिस ने उस समय मठ में पैसे का हिसाब किताब रखने वाले अकाउंटेंट जिसे तिब्बती भाषा में लाबरान कहा जाता है, को गिरफ्तार किया था। रग्वे छोछंग उर्फ शक्ति लामा नामक इस लाबरान ने कहा था कि ये सारा पैसा विदेशों से मठ को दान में मिला हुआ पैसा है। लाबरान के गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने करमापा से भी इस पैसे को लेकर लम्बी पूछताछ की थी। करमापा ने तब कहा था कि उन्हें इस दान के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि पुलिस तब भी करमापा को आरोपी बनाने की तैयारी में थी लेकिन अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते उस समय भारत सरकार ने यह नहीं होने दिया। अब जांच पड़ताल के बाद जबकि पुलिस के हाथ और मजबूत हो गए तो उसने करमापा को आरोपी बनाने का फैसला ले लिया। करमापा के अपने मठ में मिली अवैध विदेशी करंसी का ये मामला हालांकि सीधे तौर पर भारतीय कानून के उल्लंघन का मामला था लेकिन इसके बावजूद सरकार को करमापा को आरोपी बनाने जैसा साहसिक कदम उठाने में लगभग एक साल लग गया।
संभवत: यह पहला मामला है जब तिब्बतियों के सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले धर्मगुरु को धोखाधड़ी जैसे मामलों में साजिश रचने का आरोपी बनाया गया है।  तिब्बतियों के 17वें गुरु करमापा को बचाए जाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर से पड़ रहे दबाव की वजह से ही भारत सरकार उन्हें इस मामले में बचाना चाह रही थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय तो खुले तौर पर उन्हें अपनी तरफ से क्लीन चिट भी दे चुका है लेकिन जहां तक हिमाचल का सवाल है, शुरू से ही राज्य सरकार का यह स्टैंड रहा है कि अगर करमापा दोषी होंगे तो कानून के तहत उनके खिलाफ भी वैसी ही कार्रवाई की जाएगी जैसी इस मामले में संलिप्त अन्य आरोपियों के खिलाफ की जा रही है।
मठ के अधिकारियों ने किया समन लेने से इंकार 
मठ में भेजे गए अदालत के समन को लेने से मठ के अधिकारियों ने इनकार कर दिया है।  पुलिस ने यहां करमापा व चार अन्य आरोपियों के नाम समन भेजे थे जिनमें से केवल गोम्पो सेरिंग ने ही 6 तारीख की पेशी के लिए सम्मन लिए हैं। समन न लेने वालों में करमापा के अलावा रिंग जिंग बागमो व उसके पति करमाकुके खम्पा और तेजिंग नामग्याल शामिल हैं। बताया जाता है कि करमापा आजकल बौद्ध गया में हैं और उनके अनुपस्थिति में मठ का कोई भी अधिकारी सम्मन लेने के लिए तैयार नहीं हैं।  ऊना की अदालत द्वारा गत 27 जनवरी को ये समन डाक द्वारा कांगड़ा की अदालत के जरिए करमापा व अन्य आरोपियों को भेजे गए थे। कांगड़ा की अदालत ने पुलिस के जरिए समन मठ में भिजवाए। यह भी संभव है कि समन देने के हुक्म की तामील मठ की दीवारों पर समन की प्रति को चस्पा करके यानी चिपकाकर किया जाए

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