Wednesday, February 15, 2012

भ्रष्टाचार के आरोप में तोशाम का एस.डी.एम. गिरफ्तार

भ्रष्टाचार के आरोप में तोशाम का एस.डी.एम. गिरफ्तार 
तोशाम, (अनिल लाम्बा) : विजिलेंस विभाग नारनौल की टीम ने भ्रष्टाचार के आरोप में तोशाम के एसडीएम एचसीएस अधिकारी सतबीर सिंह जांगू को आज उनके सरकारी निवास से गिरफ्तार कर लिया। लेकिन अदालत में पेश होने से पहले उन्हें सीने में दर्द होने की वजह से अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।   प्राप्त जानकारी के अनुसार आज सुबह नारनौल से विजिलेंस विभाग के पुलिस उप अधीक्षक वीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम तोशाम के एसडीएम सतबीर सिंह जांगू के तोशाम स्थित सरकारी आवास पर पहुंची तथा महेन्द्रगढ़ में भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने के लिए अपने साथ ले गई। लेकिन अदालत में पेश होने से पहले ही उनके सीने में दर्द हुआ जिसके कारण उन्हें नारनौल के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। गौरतलब होगा कि महेन्द्रगढ़ में एसडीएम के पद पर रहते हुए  सतबीर सिह जांगू पर लोडिड वाहनों को रिश्वत  लेकर निकालने सहित कई गम्भीर आरोप लगे थे। इस सम्बन्ध में तोशाम के गांव डाडम निवासी प्रदीप ने विजिलेंस को शिकायत कर एसडीएम के रीडर पर उनके डम्परों  का चालान नहीं करने की एवज में रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। विजिलंस की टीम ने शिकायतकर्ता को पैसे देकर रीडर को रिश्वत देने की बात कही।  गत 10 अगस्त 2010 को महेन्द्रगढ़ स्थित किसान धर्म कांटा पर एसडीएम कार्यालय के रीडर धर्मबीर व ड्राइवर एसडीएम की गाड़ी लेकर आये तथा शिकायतकर्ता ने उन्हें रिश्वत के पैसे देकर विजिलेंस की टीम को इशारा कर दिया। विजिलेंस  ने दोनों को रिश्वत के पैसों के साथ गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। जहां रीडर धर्मबीर ने एसडीएम सतबीर सिंह जांगू के निर्देश पर ऐसा करने का आरोप लगाया। न्यायालय ने एसडीएम को आरोपी बनाते हुए विजिलेंस को उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने का आदेश दिया था। विजिलेंस की टीम ने आज एसडीएम को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया। प्रदीप के अनुसार उसे निर्देश मिला कि इस मार्ग पर अगर डंफर चलाने हैं तो किसान धर्म कांटा पर महीना पहुंचा देना। प्रदीप ने बताया कि विजिलेंस से बात कर वह 3500 रुपये प्रति गाड़ी के लेकर धर्म कांटे पर पहुंचा और वहां राजकुमार नाम के एक व्यक्ति को पैसे देकर धर्मवीर से बात करवाई और इसी मौके पर विजिलेंस की टीम ने छापा मारा। शिकायतकर्ता ने बताया कि इस मामले के  खुलासे के बाद उसको काफी तंग किया गया। यहां तक की उसको करीबन छह महीने तक अपनी दोनों गाडिय़ां घर में ही खड़ी करनी पड़ी और बाद में हिमाचल में भेजकर गाडिय़ों की किस्त निकालने का जुगाड़ करना पड़ा। हालत यह रही कि उसे मजबूर होकर गाडिय़ों को बेचने का निर्णय लेना  पड़ा।

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