Monday, February 13, 2012

साढ़े तीन घंटे चला हाईप्रोफाइल ड्रामा


साढ़े तीन घंटे चला हाईप्रोफाइल ड्रामा
गुडग़ांव (अनिल लाम्बा) : साढ़े तीन साल में पहली बार निगम एक अनधिकृत भवन पर एक सप्ताह में ही नोटिस, सील, सुनवाई व उसे ढहाने की कार्रवाई करने पहुंचा। सीनियर डिप्टी मेयर यशपाल बत्रा के करीबियों का भवन होने से निगम दस्ता भारी पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंचा। साढ़े तीन घंटे चले इस हाईप्रोफाइल ड्रामा का भाजपाइयों व क्षेत्रीय लोगों ने जमकर विरोध किया। अंत में भवन मालिक द्वारा चार-पांच दिन में खुद भवन गिराने का हलफनामा निगम को सौंपने पर ड्रामा खत्म हुआ।सोमवार सुबह नौ बजे ही निगम का अतिक्रमण विरोधी दस्ता पुलिसबल, दंगा नियंत्रण वाहन, तीन डीसीपी, तीन एसीपी एवं आधा दर्जन एसएचओ की अगुवाई में न्यू कालोनी पहुंचा। दस्ता देख भवन मालिक के समर्थन में क्षेत्रीय लोगों व भाजपा नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया। मौके पर भाजपा जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुमेर सिंह तंवर, भाजपा नेता व बार एसोसिएशन प्रधान कुलभूषण भारद्वाज ने निगम पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया। चीफ इंजीनियर बलजीत सिंह सिंगरोहा पर तीखे प्रहार करते हुए पूछा कि आखिरकार ऐसा क्या दबाव था कि एक सप्ताह में इसे गिराने की सारी खानापूर्ति कर ली। जबकि शहर में और भी हजारों इस प्रकार के भवन हैं। विरोध के चलते निगम अधिकारी पुलिस सुरक्षा में खड़े रहे। भारद्वाज ने भवन मालिक सीमा छाबड़ा, मनोज, गनपत, निर्मला कुमारी का पक्ष लेते हुए कहा उन्हें कुछ समय दिया जाए। इस पर सिंगरोहा ने हलफनामा मांगा। करीब एक घंटे बाद कोर्ट से हलफनामा तैयार करा उसे सौंपा, तब निगम दस्ता व पुलिस बल वहां से हटा। इसमें भवन मालिक ने चार-पांच दिन का समय मांगा है। निगम पर जहां भेदभावपूर्ण कार्रवाई के आरोप लगे। वहीं सवाल उठता है कि अगर उसे भवन गिराना था तो उसने करीब एक-डेढ़ घंटे तक हलफनामे का इंतजार क्यों किया?

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