नयी दिल्ली/मुंबई, (भाषा) : एअर इंडिया के करीब 200 आंदोलनकारी पायलटों को अपनी ‘गैरकानूनी हड़ताल’ खत्म करने का निर्देश देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने उनके चिकित्सा अवकाश लेने या प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी है। इस बीच विमानन कंपनी प्रबंधन ने 10 और पायलटों को बर्खास्त कर दिया। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 13 जुलाई का दिन तय किया है।
एअर इंडिया प्रवक्ता ने कहा कि इंडियन पायलट गिल्ट (आईपीजी) से संबद्ध पायलटों के आंदोलन यानी काम पर नहीं आने का आज दूसरा दिन है और परेशान यात्री उड़ान में घंटों देरी की शिकायत कर रहे हैं। मुंबई और दिल्ली से दो-दो अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द की गईं।
अधिकारी ने कहा कि बाकी सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन हो रहा, क्योंकि उपलब्ध पायलटों के साथ एक आपात व्यवस्था की गई है। आईपीजी के बैनर तले पायलट बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के प्रशिक्षण में फेर-बदल और अपनी सेवा से जुड़ी प्रगति के मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने आईपीजी को नोटिस जारी किया और कहा कि वह एअरइंडिया प्रबंधन की याचिका पर जवाब दे जिसमें अदालत से हस्तक्षेप करने और आंदोलनकारी पायलटों पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी करने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति खेत्रपाल ने अपने आदेश में कहा ‘प्रतिवादी नंबर एक (आईपीजी), इसके सदस्य, एजेंट और अधिकारियों को गैरकानूनी हड़ताल करने से रोका जाता है। पायलटों के चिकित्सा अवकाश लेने और कंपनी के दिल्ली और अन्य क्षेत्रीय कार्यालयों के परिसर में या इसके बाहर धरना देने, प्रदर्शन करने या हड़ताल का कोई भी तरीका अपनाने से रोका जाता है।’ न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि ऐसी हड़ताल को जारी रखने की अनुमति देने से कंपनी को अपूर्णीय क्षति होगी और सार्वजनिक क्षेत्र की इस विमानन कंपनी के जरिए यात्रा करने वाले यात्रियों को भारी असुविधा होगी। इस बीच विमानन कंपनी के सूत्रों ने मुंबई में बताया कि एअर इंडिया प्रबंधन ने काम पर लौटने से मना करने के कारण और 10 पायलटों को बर्खास्त कर दिया है जिससे कुल बर्खास्त पायलटों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। पायलटों को हड़ताल जारी रखने से रोकने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए एअर इंडिया प्रबंधन के वकील ललित भसीन ने हड़ताल को गैरकानूनी बताया और कहा कि इस हड़ताल के कारण कंपनी को कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द करने पर मजबूर होना पड़ा जिससे यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उड़ानें रद्द होने से एअर इंडिया को रोजाना दस करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो रहा है।
एयर इंडिया के इंडिया पायलटॅस गिल्ड से संबद्ध करीब 200 पायलटों ने कल बीमार होने की सूचना दी जिसके कारण कम से कम 13 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। एयरइंडिया प्रबंधन ने कल आईपीजी के 10 पदाधिकारियों की सेवाएं समाप्त कर दी और इस कर्मचारी संगठन की मान्यता भी रद्द कर दी। आईपीजी में करीब 250 पायलट इसके सदस्य हैं जबकि इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएसन से करीब 1,200 पायलट जुड़े हैं जबकि कंपनी के पायलटों की कुल संख्या 1,600 तक है। बाकी ज्यादातर एक्जीक्यूटिव पायलट हैं।
एअर इंडिया प्रवक्ता ने कहा कि इंडियन पायलट गिल्ट (आईपीजी) से संबद्ध पायलटों के आंदोलन यानी काम पर नहीं आने का आज दूसरा दिन है और परेशान यात्री उड़ान में घंटों देरी की शिकायत कर रहे हैं। मुंबई और दिल्ली से दो-दो अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द की गईं।
अधिकारी ने कहा कि बाकी सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन हो रहा, क्योंकि उपलब्ध पायलटों के साथ एक आपात व्यवस्था की गई है। आईपीजी के बैनर तले पायलट बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के प्रशिक्षण में फेर-बदल और अपनी सेवा से जुड़ी प्रगति के मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने आईपीजी को नोटिस जारी किया और कहा कि वह एअरइंडिया प्रबंधन की याचिका पर जवाब दे जिसमें अदालत से हस्तक्षेप करने और आंदोलनकारी पायलटों पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी करने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति खेत्रपाल ने अपने आदेश में कहा ‘प्रतिवादी नंबर एक (आईपीजी), इसके सदस्य, एजेंट और अधिकारियों को गैरकानूनी हड़ताल करने से रोका जाता है। पायलटों के चिकित्सा अवकाश लेने और कंपनी के दिल्ली और अन्य क्षेत्रीय कार्यालयों के परिसर में या इसके बाहर धरना देने, प्रदर्शन करने या हड़ताल का कोई भी तरीका अपनाने से रोका जाता है।’ न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि ऐसी हड़ताल को जारी रखने की अनुमति देने से कंपनी को अपूर्णीय क्षति होगी और सार्वजनिक क्षेत्र की इस विमानन कंपनी के जरिए यात्रा करने वाले यात्रियों को भारी असुविधा होगी। इस बीच विमानन कंपनी के सूत्रों ने मुंबई में बताया कि एअर इंडिया प्रबंधन ने काम पर लौटने से मना करने के कारण और 10 पायलटों को बर्खास्त कर दिया है जिससे कुल बर्खास्त पायलटों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। पायलटों को हड़ताल जारी रखने से रोकने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए एअर इंडिया प्रबंधन के वकील ललित भसीन ने हड़ताल को गैरकानूनी बताया और कहा कि इस हड़ताल के कारण कंपनी को कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द करने पर मजबूर होना पड़ा जिससे यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उड़ानें रद्द होने से एअर इंडिया को रोजाना दस करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो रहा है।
एयर इंडिया के इंडिया पायलटॅस गिल्ड से संबद्ध करीब 200 पायलटों ने कल बीमार होने की सूचना दी जिसके कारण कम से कम 13 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। एयरइंडिया प्रबंधन ने कल आईपीजी के 10 पदाधिकारियों की सेवाएं समाप्त कर दी और इस कर्मचारी संगठन की मान्यता भी रद्द कर दी। आईपीजी में करीब 250 पायलट इसके सदस्य हैं जबकि इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएसन से करीब 1,200 पायलट जुड़े हैं जबकि कंपनी के पायलटों की कुल संख्या 1,600 तक है। बाकी ज्यादातर एक्जीक्यूटिव पायलट हैं।
वार्ता को तैयार पर काम में बाधा बर्दाश्त नहीं : सरकार
नयी दिल्ली, (भाषा) : एयर इंडिया के पायलटों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए सरकार ने आज कहा कि वह कर्मचारियों की किसी वाजिब शिकायत पर बातचीत करने को तैयार है, लेकिन कामकाज में बाधा और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती। उधर एयर इंडिया की हड़ताल का मुद्दा आज लोकसभा में भी उठा और भाकपा के गुरूदास दासगुप्ता ने राष्ट्रीय एयरलाइंस को पुनर्जीवित करने और निजी कंपनियों को संरक्षण न देने की मांग की। संसद भवन परिसर में नागर विमानन मंत्री अजीत सिंह ने संवाददाताओं से कहा इन परिस्थितियों में एयर इंडिया को पुनर्जीवित करने के लिए अनंत काल तक पैसा नहीं दे सकते। ‘एयर इंडिया लगभग दिवालिया हो गया है। जनता के 30 हजार करोड़ रुपए इसे पुनर्जीवित करने के लिए खर्च किया जाना है लेकिन नियमित अंतराल पर इस प्रकार से काम बाधित करना पूरी तरह गलत है।
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