Thursday, May 10, 2012

आजादी की पहली लड़ाई की याद में उसके शुरूआत स्थान अम्बाला छावनी में स्मारक अविलंब बनाया जाये : अनिल विज


चंडी़गढ़,(इंडिया विसन) : हरियाणा  भाजपा विधायक दल के नेता व अम्बाला छावनी के विधायक अनिल विज ने कहा है की यह बहुत शर्म की बात है कि हरियाणा के मुख्य मंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास शहीदों को याद करने के लिये समय नहीं है  अम्बाला छावनी में 10 मई 1857 दिन रविवार को मेरठ में क्रान्ति शुरू होने के 9 घंटे पहले प्रात: 9 बजे 60 वी नेटिव इन्फैन्ट्री ने खुले तौर पर विद्रोह कर दिया था तथा इसके साथ ही आजादी की पहली लड़ाई की शुरूआत हो गई थी । परन्तु आज तक बार - बार घोषणा होने के बावजूद भी उन रणबांकुरो की याद में जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई का पहला चिराग जलाया अम्बाला छावनी में कोई स्मारक नहीं बन सका है ।
      अनिल विज ने कहा कि सबसे पहले मैंने हरियाणा विधानसभा में यह मामला वर्ष 2000 में उठाया था तथा मांग की थी कि आजादी की पहली लड़ाई की शुरूआत करने वाले वीरों की याद में अम्बाला छावनी में एक स्मारक बनाया जाना चाहिए । उस समय सरकार ने कहा था कि पहले वह तथ्यों की पुष्टि कर लें फिर ही इस पर कोई निर्णय लिया जा सकता है । 10 मार्च 2010 को विधान सभा में मेरे द्वारा दुबारा यह विषय उठाये जाने पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सदन को आश्वासन देते हुए कहा था यह सब हमारे को मालूम है और इन्ही चीजों को देखते हुए ही हमने कहा है कि अम्बाला में हम वार मैमोरियल बनवाएंगे  [हरियाणा विधान सभा की कार्यवाही बुधवार 10 मार्च 2010  पेज (4) 12 पंक्ति 18 ]
हरियाणा विधान सभा में यह घोषणा किये हुए भी 2 वर्ष से अधिक समय हो गया परन्तु मुख्यमंत्री जी को देश पर मर मिटने वालों की याद में स्मारक बनाने के लिये आधार शिला रखने का समय नहीं मिला है । समाचार पत्रों के माध्यम से तीन बार तिथि घोषित की गई परन्तु अज्ञात कारणों से रद्द कर दी गई । अगर आधार शिला इसलिए नहीं रखी जा रही क्योंकि यह मामला मैं उठा रहा हूँ तो हरियाणा सरकार के लिये यह बहुत शर्म की बात है कि वह शहीदों के बारे में भी राजनीति से ऊपर उठ कर नहीं सोच सकती ।अनिल विज ने कहा है कि इसका दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि आज तक तो कांग्रेस ने लोगों को यह ही पढाने कि कोशिश कि है कि आजादी कि लड़ाई केवल काँग्रेस ने ही लड़ी है फिर वह यह कैसे मान ले कि कांग्रेस के 1885 में जन्म से पहले भी कोई आज़ादी की लड़ाई 1857 में लड़ी गई हो । अम्बाला छावनी में स्मारक न बनवाने का शायद यह भी एक कारण हो सकता है । अनिल विज ने मांग की है आजादी की पहली लड़ाई की याद में उसके शुरूआत स्थान अम्बाला छावनी में स्मारक अविलंब बनाया जाये ।     

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